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पॉप-अप मार्केट हो सकता है मुंबई में फेरीवालो की समस्या का समाधान- हाईकोर्ट

खंडपीठ में शामिल जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस कमल ने कहा कि एक व्यक्ति के अधिकारों से दूसरे के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। उन्होंने पैदल चलने वालों के लिए स्वतंत्र और सुरक्षित रास्ते बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डाला।

पॉप-अप मार्केट हो सकता है मुंबई में फेरीवालो की समस्या का समाधान- हाईकोर्ट
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बॉम्बे हाई कोर्ट (HC) ने एक बड़ा फैसला सुनाया है कि अवैध फेरीवाले मुंबई में सार्वजनिक स्थानों पर स्थायी रूप से कब्जा नहीं कर सकते हैं। यह निर्णय 16 अप्रैल के एक आदेश के बाद गुरुवार, 24 अप्रैल को सार्वजनिक किया गया।खंडपीठ में शामिल जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस कमल ने कहा कि एक व्यक्ति के अधिकारों से दूसरे के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। उन्होंने पैदल चलने वालों के लिए स्वतंत्र और सुरक्षित रास्ते बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डाला। (Bombay High Court Rules Against Permanent Occupation by Illegal Hawkers)

अदालत ने पिछले साल शहर में बिना लाइसेंस वाले विक्रेताओं का मुद्दा स्वत: संज्ञान से उठाया था। पीठ ने बुनियादी सवाल उठाया, "यह शहर किसके लिए है?" न्यायाधीशों ने जोर देकर कहा कि सार्वजनिक फुटपाथों और सड़कों पर बिना लाइसेंस वाले विक्रेताओं द्वारा स्थायी रूप से कब्जा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति से संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 14 के बीच टकराव पैदा हो जाएगा।

अदालत ने आगे कहा कि एक अवैध स्ट्रीट वेंडर के लिए सार्वजनिक सड़क पर स्थायी स्थिति का दावा करना अकल्पनीय है। उन्होंने कहा कि ऐसा दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह करदाताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

अदालत ने कहा की इस मुद्दे का एक समाधान प्रस्तावित "पॉप-अप मार्केट" या "मोबाइल विक्रेता" की अवधारणा हो सकता है।  पॉप-अप मार्केट मे इससे रेहड़ी-पटरी वालों को कड़ी निगरानी में विशिष्ट स्थान और समय पर दुकानें लगाने की अनुमति दी जाती है। अपने आवंटित समय के बाद, फेरीवालो को उसक्षेत्र खाली करना होगा जिसके बाद उस जगह को फिर से आम लोगो के लिए खोला जा सके।  

पीठ ने स्ट्रीट वेंडिंग के लिए जारी किए गए सभी लाइसेंसों को सूचीबद्ध करते हुए एक डेटाबेस बनाने और बनाए रखने का भी सुझाव दिया। इससे स्थिति की निगरानी और नियंत्रण में सुविधा होगी। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) आयुक्त को इन सिफारिशों पर विचार करने के लिए कहा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 जून को निर्धारित की गई है।

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