लॉक डाउन में सुसाइड के बढ़ते मामले


लॉक डाउन में सुसाइड के बढ़ते मामले
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कोरोना वायरस (Coronavirus) ने कई लोगों की दशा और दिशा ही बदल दी है। इस वायरस के कारण पिछले 4 महीने से लॉकडाउन (lockdown) लगा हुआ है, जिसके बाद से चलती फिरती जिंदगी एक तरह से ठप्प सी पड़ गई है। लेकि  इस रुकी हुई जिंदगी ने कई लोगो के जीवन और भी ब्रेक लगा दिया है। इस लॉकडाउन में सुसाइड (suicide in lockdown period) की कई सारी घटनाएं सामने आई हैं। चाहे आम हो या खास या सिलिब्रेटी सुसाइड (celeb suicide) करने में कोई पीछे नहीं है। अब इसे जीवन के प्रति उपजी निराशा कहें या मन मुताबिक लक्ष्य हासिल होने का दुख या फिर लॉकडाउन के कारण पैदा हुआ तनाव, आत्महत्या के कई कारण हो सकते हैं।

टीवी कलाकार प्रेक्षा मेहता (preksha mehta suicide) ने 25 साल की उम्र में ही सुसाइड कर लिया। वे लॉकडाउन शुरू होने से पहले ही मुंबई से अपने घर इंदौर लौट गईं थीं और मुंबई से जाने से पहले तक उनके पास कोई काम नहीं था। घर पर रहते हुए भी उन्हें लगातार बढ़ रहे लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी की समस्या सता रही थी और आखिरकार उन्होंने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने से पहले उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक छोटा सा संदेश छोड़ा था जिसमें लिखा है, 'सबसे बुरा होता है सपनों का मर जाना'। क्राइम पेट्रोल के अलावा प्रेक्षा 'मेरी दुर्गा' और 'लाल इश्क' में भी काम कर चुकी थीं। 

मनमीत ग्रेवाल (manmeet grewal) भी टीवी इंडस्ट्री का एक जाना माना नाम था, लेकिन इस लॉकडाउन के चलते उनके पास काम नहीं था, वे आर्थिक तंगी के चलते काफी परेशान थे, जिसके बाद उन्होंने खुद की जान दे दी।

लॉकडाउन में सीरियल्स की शूटिंग बंद है इस वजह से कई टीवी एक्टर्स तनाव से गुजर रहे हैं। खबरों के मुताबिक ये एक्टर्स पहले से ही काफी आर्थिक परेशानियां झेल रहे थे। ऐसे में लॉकडाउन के दौरान उनकी ये समस्या और भी ज्यादा बढ़ गई।

ये तो हैं कुछ सेलेब जो तनाव नहीं झेल सके। इसके अलावा इनमें आम लोग भी शामिल हैं। अभी हाल ही में एक पुलिसकर्मी ने इसलिए सुसाइड कर लिया क्योंकि वे लॉकडाउन के चलते तनाव में थे।

मुंबई के रहने वाले बैंक कर्मी अमन कुमार ने भी इस लॉकडाउन के चलते सुसाइड कर लिया था, क्योंकि उन पर जॉब का प्रेशर था, सैलरी भी कट कर आ रही थी, साथ ही उन्होंने लोन भी ले रखा था, आखिर उन्होंने तनाव नहीं झेल पाने के कारण अपनी जान दे दी।

रिसर्च द्वारा सामने आए एक आंकड़ें में मुताबिक लॉकडाउन की वजह से उपजे तनाव की वजह से कोरोना संक्रमण के अलावा हुईं 300 से ज्यादा मौतों में अधिकतर मामलों में प्रमुख कारण आत्महत्या करना है। आंकड़ें के अनुसार 19 मार्च से दो मई तक 338 लोगों की मौत हुई हैं जिनका संबंध लॉकडाउन से है। 

डाटा के अनुसार, 80 लोगों ने अकेलेपन और जांच पॉजिटिव आने के डर से आत्महत्या कर ली। अपने घर की ओर वापस जा रहे 51 प्रवासी मजदूरों की हादसों में मौत हो गई, वहीं भुखमरी और आर्थिक समस्याओं के चलते 36 लोगों की मौत हुई। लॉकडाउन के दौरान संक्रमण के डर, अकेलेपन, आने-जाने की आजादी पर पाबंदी और शराब न मिलने की वजहों से आत्महत्या के मामलों की संख्या बढ़ गई है। 

इस बारे में मनोवैज्ञानिक डॉ. अशोक मारू का कहना है कि, जिस तरह से लोगों की लाइफ स्टाइल बदल रही है, नई नई इच्छाएं जन्म ले रही हैं, काम का प्रेशर अधिक है, जब ये सब पूरे नहीं हो पाते हैं तो सुसाइड जैसी इच्छाएं मनुष्य के अंदर जन्म लेने लगती हैं। इसलिए इंसान को अपनी इच्छाओं पर काबू रखना आना चाहिए, साथ ही अधिक उम्मीदें नहीं पालना चाहिए।

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