आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्व गृह राज्यमंत्री और कांग्रेस नेता कृपाशंकर सिंह के परिवार को एसीबी की विशेष कोर्ट ने क्लीन चिट दे दिया। इस मामले में कृपाशंकर सिंह सहित उनके परिवार में उनकी पत्नी पत्नी मालती देवी, बेटे नरेंद्र मोहन, बेटी सुनिता और दामाद विजय सिंह को आरोपी बनाया गया था। हालांकि कृपाशंकर सिंह को विशेष कोर्ट ने इसी साल फरवरी महीने में ही बरी कर दिया था।
आरोप नहीं हुए साबित
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कृपाशंकर सिंह के वकील ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस मामले में EOW (आर्थिक अपराध शाखा) ने अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। लेकिन अदालत में EOW ने यह बात जानबूझ कर छुपाई कि जांच एजेंसियों को तारतकालीन विधानसभा अध्यक्ष ने पहले 14 जून 2014 और फिर 21 अक्टूबर 2014 को सिंह के खिलाफ प्रिवेंशन आॅफ करप्शन एक्ट के तहत कार्रवाई करने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।
वकील ने बात करते हुए आगे बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने जांच एजेंसी की रिपोर्ट में भारी विसंगती पाई थी। वकील के अनुसार कृपाशंकर सिंह के खिलाफ जब आरोप लगाये गये थे तब वे विधायक थे। लिहाजा नियमानुसार प्रिवेंशन आॅफ करप्शन एक्ट के तहत आरोपपत्र दाखिल करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी आवश्यक थी।
बाद में 14 फरवरी 2018 को सत्र न्यायालय ने एसीबी से कृपाशंकर की जांच करने से पहले सक्षम प्राधिकरण की मंजूरी न लिए जाने की वजह से पूरा मामला खारिज कर दिया था। लिहाजा जब अदालत ने सिंह को ही बरी कर दिया तो उनके परिवार के सदस्य जो कि जनप्रतिनिधि नहीं हैं, इसकी वजह से उनके खिलाफ भी प्रिवेंशन आॅफ करप्शन एक्ट आरोपपत्र दाखिल करने और कार्रवाई करने का औचित्य ही नहीं बनता है। इसीलिए कोर्ट ने उन्हें भी बरी कर दिया।
कृपाशंकर की गयी थी कुर्सी
आपको बता दें की कृपाशंकर सिंह जब मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष थे, उस दौरान उनके और उनके परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की शिकायत एसीबी से की गयी। शिकायत के बाद विपक्ष के दबाव के चलते कृपाशंकर सिंह को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद भी छोडऩा पड़ा था। यही नहीं जांच के दौरान सिंह के करीबियों ने यह भी आरोप लगाया था कि उनकी राजनीतिक उपेक्षा भी की जा रही है।
कृपा लौटेंगे मुख्यधारा की राजनीति में?
अब अगले साल लोकसभा और विधानसभा का चुनाव है। राजनीतिक हलकों में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव के एन वक्त पहले कृपाशंकर सिंह पर कोर्ट ने कृपा की है। इससे जहां कांग्रेस गदगद है तो वहीं सिंह फिर से राजनीति की मुख्यधारा में आ सकते हैं।