
दिव्यांगजन कल्याण विभाग द्वारा दिव्यांगजनों के विरुद्ध दुर्व्यवहार, हिंसा एवं शोषण की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण तथा उनके अधिकारों एवं सुरक्षा की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु एक शासनादेश जारी किया गया है।(Sub-Divisional Magistrate and District Magistrate have now been empowered to take action in case of atrocities against persons with disabilities.)
उप-विभागीय मजिस्ट्रेट एवं जिला मजिस्ट्रेट को ऐसे मामलों में विधिक एवं निवारक कार्रवाई करने का अधिकार
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 7 के अनुसार, दिव्यांगजनों के विरुद्ध अत्याचारों के विरुद्ध त्वरित एवं प्रभावी कार्रवाई करना अनिवार्य है। तदनुसार, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट एवं जिला मजिस्ट्रेट को ऐसे मामलों में विधिक एवं निवारक कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है।
सभी जिलों में शुरू होगी SOP
दिव्यांग कल्याण विभाग के सचिव तुकाराम मुंढे ने बताया कि राज्य के सभी जिलों में इन प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक समान मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) विकसित की गई है। सचिव मुंढे ने कहा कि दिव्यांगजनों के विरुद्ध दुर्व्यवहार, हिंसा एवं शोषण को रोकना तथा पीड़ितों को न्याय, सुरक्षा एवं सम्मान प्रदान करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
तुरंत होगा समाधान
इस प्रक्रिया में ऐसी घटनाओं में शिकायतों के निवारण, तत्काल कार्रवाई, सुरक्षात्मक उपाय, चिकित्सा सहायता, पुनर्वास एवं विधिक सहायता हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश निर्धारित किए जाएँगे। सरकार का लक्ष्य पूरे राज्य में एक समान, पारदर्शी और प्रभावी व्यवस्था लागू करना और दिव्यांगजनों की सुरक्षा एवं सम्मान को सुदृढ़ बनाना है।
उन्होंने बताया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 92 के अनुसार, दिव्यांगजनों के विरुद्ध दुर्व्यवहार, हिंसा और शोषण करने वाले व्यक्तियों को न्यूनतम छह माह और अधिकतम पाँच वर्ष के कारावास के साथ-साथ जुर्माने का भी प्रावधान है।
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