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मौत को बेहद करीब से देखा कमला मिल्स आग की इस चश्मदीद ने

चश्मदीद माला कश्यप ने बताया की आग में वो बाल बाल बची।

मौत को बेहद करीब से देखा कमला मिल्स आग की इस चश्मदीद ने
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28 दिसबंर की रात 14 लोगों के लिए जिंदगी की आखिरी रात साबित हो गई। मुंबई के एक पॉश पब में खाने पीने आए इन लोगों को क्या पता था की जिस पब में ये जा रहे है वही पब इनकी मौत का कारण बन सकता है। गुरुवार की रात लोअर परेल के कमला मिल्स में वन अबव और मोजोस नाम के पब में आग लग गई , इस आग में 14 लोगों की मौत हो गई तो वहीं 12 लोग इस आग में घायल हो गए।

वन अबव और मोजोस को बीएमसी ने अवैध बाँधकाम निर्माण करने के लिए पहले भी नोटिस दिया था, हालांकी बीएमसी के इस नोटीस के बाद भी पब ने अपने अवैध निर्माण कार्य पर किसी भी तरह की कोई भी कार्रवाई नहीं की है। और इसी वजह से 1 लोगों को अपनी जांन गंवानी पड़ी।

गुरुवार की रात एक चश्मदीद ने इस मौत के मंजर को अपने आखों से देखा और किसी तरह अपने आप को मैत के मुंह से बचाया। माला कश्यप नाम की ये लड़ती उसी रात मोजो बिस्टरो में अपने दोस्तों के साथ बैठी हुई थी जो इस हादसे को अपने फोन में रिकॉर्ड कर लिया। मुंबई लाइव को लड़की ने उस हादसे से जुड़ी एक एक बात बताई।


 "मैं रेस्तरां के प्रवेश द्वार के करीब बैठी थी, हम वहां रात के 11 बजे पहुंचे और 12:20 बजे एक दोस्त ने इस आग को देखा। शुरुआत में हमें ये नही लगा की रेस्टॉरेंट में आग लग गई है। लेकिन देखते ही देखते कुछ ही सेकेंड में आग पूरी तरह से फैल गई क्योंकि पूरे क्षेत्र को कपड़े से ढंका गया था। इस रेस्टॉरेंट के साथ ही शीशा प्लेस और आईलैड बार है जिसके कारण आग और भी फैल गई। लोग बाहर निकल रहे थे, वे खुद को लिफ्ट में भरने लगे थे। मेरे कुछ दोस्त पब से बाहर निकलने के लिए फायर एक्जिट की ओर बाहर निकले, लेकिन आग फा.र एक्जिट की ओऱ भी फैल गई गई थी जिसके कारण उन्हे भी आग की लपटो ने छुआ। आठ मिनट के अंदर कि मैं नीचे तक पहुंच गई, क्योंकि रेस्तरां स्टाफ पूरी तरह से सहायक था, इसके साथ ही सुरक्षा गार्ड भी शामिल थे। हमने तुरंत आपातकालीन नंबर डायल करना शुरू कर दिया। मुझे पूरा यकीन है कि मृत घोषित किए गए लोगों मे होटल के कर्मचारियों की संख्या ज्यादा होगी क्योकी इस आग के कारण कई सिलेेंडर भी फटे थे। मुझे लगता है की अगर रेस्टोरेंट में कपड़ो का इस्तेमाल नहीं किया गया होता तो आग इतनी नहीं फैलती।से होना चाहिए क्योंकि सिलेंडर कुछ ही मिनटों में फट गया, इसलिए रसोई में टीमों ने ऐसा नहीं किया। इसके अलावा, रेस्तरां अगले दरवाजे में घायल हो गए होंगे क्योंकि वे नहीं देख पाएंगे कि क्या हुआ। दोनों जगहें वास्तव में अच्छे हैं और यह बिल्कुल बिल्कुल दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे लगता है कि वहां कपड़े नहीं था, तो आग इतनी जल्दी नहीं फैलती। हमें किसी औऱ रेस्टोरेंट में जगह नहीं मिली इसलिए हमे उसी टेबल पर जगह मिली जहां आग लगी हुई थी।"

                                                                                          - माला कश्यप, चश्मदीद


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