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अमोल ने बनाया स्वदेशी तकनीकी से एयरक्राफ्ट, सपने को मिली उड़ान

122 साल बाद किसी भारतीय ने दोहराया इतिहास

अमोल ने बनाया स्वदेशी तकनीकी से एयरक्राफ्ट, सपने को मिली उड़ान
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कहते हैं इतिहास अपने आप को दोहराता है। आज से लगभग 122 साल पहले 1895 में मुंबई के रहने वाले शिवकर तलपड़े ने अपना बनाया प्लेन उड़ाया था। लेकिन किसे पता था कि 122 साल बाद समय चेहरा बदल कर फिर आकर वहीं ठहर जायेगा।

मुंबईकर अमोल का कारनामा

अब मुुंबई के ही रहने वाले जेट एयरवेज के डिप्टी चीफ पायलट कैप्टन अमोल यादव ने ऐसा कारनामा किया है, उन्होंने खुद के द्वारा बनाया गया एयरक्राफ्ट बनाया है जिसे वे उड़ा सकेंगे। सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें डीजीसीए का सर्टिफिकेट सौंपा। इस एयरक्राफ्ट को बनाने में अमोल को 19 साल लग गए। यही नहीं इसे बनाने के अमोल ने अपने घर की छत को चुना, जो टीन के शेड की बनी थी। अमोल ने 19 साल बाद यानी 2011 में एयरक्राफ्ट टीएसी-003 बनाया। तब से अमोल सर्टिफिकेट पाने की कोशिश कर रहे थे।

दो टेस्ट हुए थे फेल, तीसरी में मिली सफलता

अमोल यादव ने इस एयरक्राफ्ट के बारे में बात करते हुए बताया कि,उन्होंने सबसे पहले 1998 में फिर 2003 में टू-सीटर एयरक्राफ्ट बनाया  था लेकिन वह दोनों टेस्ट नाकाम हो गये। वे कहते हैं कि इन दोनों नाकाम कोशिशों से मैंने काफी कुछ सीखा। फिर अमोल ने थ्रस्ट एयरक्राफ्ट नाम से कंपनी बनाई और तीसरी कोशिश शुरू की, जो सफल रही।

अमोल आगे कहते हैं कि टीएसी-003 का वजन कुल 1450 किलो है और यह 1500 फीट प्रति मिनट की रफ्तार से टेक ऑफ कर 13 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकेगा। इस एयरक्राफ्ट की हवा में रफ्तार 185 मील तक होगी। अमोल के अनुसार जब भी प्लेन को प्रदर्शनी में ले जाना होता था, तो इसे क्रेन से उतारना पड़ता था। इस प्लेन में आठ सिलेंडर वाले ऑटोमोबाइल इंजन का इस्तेमाल किया गया है।

राह नहीं थी आसान 

संघर्ष के दिनों को याद करते हुए अमोल कहते हैं कि एयरक्राफ्ट टीएसी-003 बनाने का सफर काफी संघर्ष भरा रहा। अमोल के अनुसार उनकी मां ने अपना मंगलसूत्र बेचकर पैसे दिए थे। भाई ने अपना घर तक गिरवी रख दिया था।

फडणवीस की मदद से मिला सर्टिफिकेट

हालांकि एयरक्राफ्ट तो 2011 में ही बन गया था लेकिन इसके बाद डीजीसीए सर्टिफिकेट लेना आवश्यक था। अमोल ने 2011 में ही डीजीसीए सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था लेकिन बात नहीं बनी।

पीएम मोदी की योजना ने दिलाई पहचान

अमोल बताते हैं कि डीजीसीए सर्टिफिकेट नहीं मिलने से वे निराश हो गए थे, लेकिन इसी साल जब फरवरी में मुंबई में मेक इन इंडिया वीक शुरू हुआ तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। अमोल अपना एयरक्राफ्ट लेकर वहीँ पहुंच गये। लेकिन अनुमति नहीं होने के कारण एयरक्राफ्ट को प्रदर्शनी में रखने नहीं दिया गया। आख़िरकार जब यह खबर किसी तरह से मुख्यमंत्री फडणवीस को मिली तो उन्होंने अमोल को बुलाया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में बात की। सीएम और पीएम के बीच 4 बैठकें हुईं। और अमोल को सीएम फडणवीस ने डीजीसीए सर्टिफिकेट सौंपा।

मोदी और फडणवीस के नाम पर है क्राफ्ट

अमोल ने बताया कि उन्होंने अपने क्राफ्ट का नाम VT-NMD रखा है। NM मतलब नरेंद्र मोदी और D मतलब देवेंद्र।

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