रिस्क लेना अच्छा लगता है पर यह डराता भी है: शाहिद कपूर

अनुराग कश्यप की ‘उड़ता पंजाब’ और संजय लीला भंसाली की ‘पद्मावत’ जैसी फिल्मों में धमाल मचाने वाले एक्टर शाहिद कपूर ‘बत्ती गुली मीटर चालू’ लेकर आ रहे हैं। इस फिल्म में वे बिजली के मुद्दे को उठाएंगे। श्री नारायण सिंह द्वारा डायरेक्टेड इस फिल्म में शाहिद के अलावा श्रद्धा कपूर दिव्येंदु शर्मा और यामी गौतम भी प्रमुख भूमिका में हैं। फिल्म 21 सितंबर को रिलीज होगी। फिल्म की रिलीज से पहले शाहिद ने मुंबई लाइव से खास बातचीत में फिल्म के अलावा अन्य मुद्दों पर भी अपनी राय रखी... 

 

आप खुद को अलग तरह की फिल्मों और किरदारों में आजमाते हैं, रिस्क लेने से डर नहीं लगता?

रिस्क तो हर चीज में होता है, अगर आप सेम चीज भी बार बार करते हैं तो उसमें भी रिस्क होता है। डर रहता है कि कहीं दर्शक बोर ना हो जाएं। मेरा रिस्क मेरे मन मैं यह होता है कि मैं बोलूं, मुझे ऐसा लगता है कि अगर मैं खुद से बोर हो गया तो मेरी क्रिएटिव एनर्जी क्षीण हो जाएंगी और मैं कुछ नया कहने लायक नहीं रहूंगा। मुझे ऐसा लगता है कि अगर आप अलग अलग तरह की फिल्में और अलग अलग तरह के किरदार नहीं करते हैं तो आप कुछ नहीं सीखेंगे और अगर आप कुछ सीखेंगे नहीं तो नया कुछ कैसे ला पाएंगे। जितना फ्रेश कॉन्टेंट जाएगा वहीं से कुछ नया निकलेगा। सच बोलूं तो मुझे रिस्क लेने में अच्छा भी लगता है और डर भी लगता है।

 

आप जल्द ही किसी फिल्म को हां नहीं कहते, वजह?

एक समय था जब एक्टर एक समय में 6-6 फिल्में करते थे। पर अब समय बदला है, अब फिल्मों की संख्या ज्यादा मायने नहीं रखती है, बल्कि फिल्म कितना अच्छा कर रही है, लोग उसे कितना पसंद कर रहे हैं, वह अधिक मायने रखता है। आज के समय में ज्यादातर एक्टर भी इस चीज से परिचित हैं कि दर्शकों की उम्मीदें काफी बढ़ी हैं, साथ ही आलोचनाओं का बाजार भी काफी बढ़ा है। मैं एक समय में एक फिल्म करना पसंद करता हूं।

 

बत्ती गुल मीटर चालू’ फिल्म को हां कहने की कोई खास वजह?

यह एक बहुत ही एंटरटेनिंग फिल्म है। यह एक फ्रेश फिल्म है, साथ ही इसके किरदार भी पूरी तरह से फ्रेश हैं। मुझे इस फिल्म के लिए जो किरदार दिया गया, मैंने जो अब तक किरदार किए हैं उससे यह बेहद अलग है। मुझे नहीं पता कि आप मुझे पसंद करोगे या नहीं। मेरा किरदार एक दम जुगाड़ु बंदा है, उसके बात करने का तरीका बेहद रॉ है। हालांकि वह फिल्म में वकील भी है पर आप उसे सीरियस लॉयर के तौर पर नहीं देख सकते।

फिल्म का मुख्य मुद्दा क्या है, क्या फिल्म में बिजली की समस्याओं को दिखाया जाएगा?

फिल्म का मुख्य मुद्दा यह नहीं है कि बिजली है कि नहीं? जबसे बिजली का निजीकरण हुआ है, तबसे बिजली के बिल लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बिजली जोकि एक फंडामेंटल राइट होना चाहिए, जोकि एक आवश्यक्ता है, उसके लिए आप कितना पैसा देंगे और कब तक वह अफोर्डेबल रहेगी। अगर कल के दिन आपके पास फॉल्टी मीटर की वजह से भारी भरकम बिल आता है, तो आप क्या करेंगे और इस तरह के किस्से बहुत हैं। बहुत सारे लोग हैं जो ऐसी समस्याओं के साथ लड़ते आ रहे हैं। अगर आपके पास ऐसा बिल आता है तो आपको सुनने वाला कोई नहीं होगा। मैं एक्टर बनने से पहले खुद इस तरह की समस्या से जूझ चुका हूं। हमारे घर का जो बिल आता था, हमें खुद लगता था कि हम इतनी बिजली तो खर्च नहीं करते फिर इतना बिल कैसे आता है? इस मुद्दे को हर कोई अपने से जोड़कर देखेगा। ज्यादातर शहरवासी गांव वालों की इस पीड़ा को नहीं समझ पाते हैं। मैं किस्मतवाला हूं कि यह फिल्म मेरे पास आई है।

ट्रोलर्स के बारे में आपकी क्या राय है?

मुझे ऐसा लगता है कि हम आज ऐसे माहौल में रह रहे हैं जहां, बहुत सारी आवाजें और बहुत सारे विचार हैं। साथ ही मैं इस बात पर भरोसा रखता हूं कि जो आप दूसरों को दोगे वही आपको मिलेगा। मैं कर्म और जीवन के चक्र मैं भरोसा रखता हूं। आप इस ब्रम्हाड में जो भी चीज फेंकते हैं घूम फिर कर वह आपके ऊपर ही आकर गिरती है।

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