शिमला से मुंबई आने का मकसद सिर्फ एक्ट्रेस बनने का था: शहर बंबा

शिमला शहर से बॉलीवुड एक्ट्रेस बनने का सपना लेकर आईं सहर बंबा का सपना देओल फैमिली में पूरा होने जा रहा है। सहर 20 सितंबर को धर्मेंद्र के पोते और सनी देओल के बेटे करण देओल के साथ बड़े पर्दे पर दस्तक देंगी। जी हां ‘पल पल दिल के पास’ फिल्म जिसे सनी देओल ने डायरेक्ट किया है, इस फिल्म से सहर अपना बॉलीवुड डेब्यू करने जा रही हैं। फिल्म की रिलीज से पहले मुंबई लाइव ने सहर से खाल मुलाकात की। इस मुलाकात में सहर ने अपनी निजी जिंदगी से लेकर फिल्म से जुड़े सवालों का बेबाकी से जवाब दिया।     

फिल्म की रिलीज डेट नजदीक आ रही है, किस तरह की फीलिंग्स हैं?

जैसे जैसे फिल्म की रिलीज डेट पास आ रही हैं, नर्वसनेस बढ़ रही है और नींद आना कम हो रही है। साथ ही मैं फिल्म की रिलीज को लेकर काफी एक्साइटेड भी हूं। पहले में 11 बजे तक सो जाती थी, पर अब काफी लेट हो जाता है।

फिल्म में कैसे मिली एंट्री? 

मुंबई से मैं अपना कॉलेज कर रही थी, इसी बीच मैं यहां वहां ऑडिशन भी देती रहती थी। लेकिन मेरे हाथ में कुछ बड़ा नहीं आया था। वैसे तो कहना चाहिए कि कुछ भी नहीं आया। पर मैंने डिसाइड किया कि एक शो में पार्टिसिपेट करती हूं और जीत भी गई। उसी दौरान ‘पल पल दिल के पास’ के ऑडिशन चल रहे थे। मुझे भी कॉल आया ऑडिशन के लिए। बहुत सारे ऑडिशन राउंड होने के बाद आखिर में खुद सनी सर ने ऑडिशन लिया। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। एक हप्ते के बाद फिर मुझे कॉल आया कि आप सिलेक्ट हो गए हो, कुछ समय तक तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था।

सनी देओल को एक एक्टर के तौर पर लोगों ने देखा है, आपने उन्हें एक डायरेक्टर के तौर पर भी देखा है, किस तरह के डायरेक्टर हैं? 

बहुत ही स्ट्रिक्ट हैं। दरअसल मैंने सनी सर के दो रूपों को देखा है, एक वो जो ऑन सेट और एक वो जो ऑफ सेट हैं। ऑफ सेट वे बेहद कूल रहते हैं मस्ती करते हैं। पर ऑन सेट वे बहुत ही फोकस रहते हैं। वे सब कुछ समय पर पूरा करने में भरोसा करते हैं। अगर 20 टेक के बाद भी उन्हें सही से सीन नहीं मिला तो वे 21 वें टेक के लिए भी तैयार रहते हैं। उन्हें अच्छी तरह से पता भी रहता है कि उन्हें क्या चाहिए है।

हमेशा से आपको एक्ट्रेस बनना था, या कोई और करियर विकल्प था?

मैं एक्ट्रेस बनने के मकसद से ही शिमला से मुंबई आई थी। नहीं तो मेरे पैरेंट्स तो बोल रहे थे, पढ़ाई करने के लिए दिल्ली चले जाओ यह पास में पड़ेगा। मुंबई तुम्हारे लिए एलियन सिटी की तरह होगा, रहने की भी दिक्कत होगी। लेकिन मैं हॉस्टल में रहने के लिए तैयार थी और में रही भी। हम 8-10 लड़कियां एक ही कमरे में रहती थीं। मैंरे जय हिद कॉलेज से ट्रैवलिंग में पढ़ाई की है।

देओल फैमिली तो एक्टिंग बैकग्राउंड से है, आपको एक्टिंग करने में कितनी दिक्कत हुई?

फिल्म की शूटिंग शुरु होने के 3 महीना पहले से फिल्म की पूरी टीम मनाली में थी। तो इस बीच हमे एक दूसरे के साथ घुलने मिलने और समझने का मौका मिला। वहीं पर वर्कशॉप होती थी, हम लोग स्क्रिप्ट पढ़ते थे। वहां पर हम लोग एक फैमिली की तरह घुल मिल गए थे। फिर जब फिल्म की शूटिंग शुरु हुई तो किसी तरह के नर्वसनेस या निगेटिव एनर्जी नहीं थी।

फिल्म की शूटिंग कहां कहां हुई और ट्रैकिंग, रिवर राफ्टिंग आदि कितना मुश्किल था।  

मैं शिलमा से हूं फिर भी मेरे लिए, ट्रैकिंग, रिवर राफ्टिंग बहुत मुश्किल था। फिल्म की शूटिंग मनाली शहर से काफी दूर, हमटा, पांडुरोपा माउंटेन में किया। पांडुरोपा में तो 8 घंटे का ट्रैक ही था और यह बहुत मुश्किल भरा था। फिल्म की शूटिंग बेहद ही खतरनाक और अलग जगहों पर हुई है।

सनी देओल की कौन सी फिल्में आपको पसंद हैं?

वैसे तो सनी सर की मैंने सभी फिल्में देखी हैं, पर ‘गदर’ मुझे बहुत पसंद आई। जिस तरह से फिल्म में उनका प्योर किरदर था, वह लाजवाब था।

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