मुंबई (Mumbai) में कोरोना (Covid19) की दूसरी लहर (second wave of covid19)का असर काफी कम हो गया है। लेकिन इस दूसरी लहर ने कई कोरोना वारियर्स की जान ले ली, जो दिन रात कोरोना को रोकने के लिए ड्यूटी कर रहे थे। इनमें कई BMC के कर्मचारी भी थे।
एक आंकड़े के अनुसार BMC के करीब 228 कर्मचारियों की कोरोना के कारण जान चली गई। जिसके बाद अब BMC की तरफ से मृतक के परिवार वालों को आर्थिक मदद की घोषणा की गई है। इसमें से 91 लोगों के परिवारों को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी और 90 लोगों के वारिसों को नौकरी दी जाएगी।
इस संबंध में BMC ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया है। BMC के मुताबिक पिछले साल मार्च महीने से ही मुंबई में कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी थी। जिसकी चपेट में BMC के कर्मचारी भी आने लगे। डेढ़ साल में मुंबई नगर निगम (bmc workers) के 6766 कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हुए। हालांकि इनमें से 5803 कर्मचारी कोरोना को हराकर ड्यूटी पर लौट चुके हैं।
हालांकि इस दौरान 228 कर्मचारियों की कोरोना से मौत हो गई। कोरोना में ड्यूटी के दौरान मरने वाले कर्मचारियों को भी केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसी के मद्देनजर नगर पालिका की तरफ से भी पीड़ितों के परिवार वालों के वित्तीय सहायता के लिए केंद्र को 200 प्रस्ताव भी भेजे थे। हालांकि इनमें से सिर्फ 19 मामलों में ही केंद्र ने 50 लाख रुपये की मदद दी है। शेष परिवारों को नगर पालिका में काम देने का निर्णय लिया है। इसके तहत 91 लोगों के परिवार वालों को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि 90 लोगों के वारिसों को भी नौकरी दी जाएगी।
इस बीच, पालिका के 967 कर्मचारी अभी भी कोरोना से पीड़ित हैं और उनका इलाज चल रहा है। कोविड के ड्यूटी के लिए कई संविदा कर्मचारियों को भी काम पर रखा गया था। इसके अलावा पालिका में सैकड़ों संविदा कर्मचारी हैं। इसमें 9 संविदा कर्मियों की कोविड ड्यूटी करते समय कोरोना संक्रमण से मौत हो गई है। जिसमें से केंद्र की तरफ से 3 लोगों और शेष छह कर्मचारियों की वित्तीय सहायता पालिका की तरफ से की जाएगी।