हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना: बीएमसी के 18 अस्पतालों में सीसीटीवी नहीं

नवजात शिशुओं के अस्पतालों और प्रसूति गृहों से गायब होने की घटनाओं को रोकने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीएमसी को अस्पताल और प्रसूति घरों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था। लेकिन ऐसा लगता है कि बीएमसी हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करने के मूड में नहीं हैं, क्योंकि 18 सार्वजनिक अस्पतालों और प्रसूति घरों में सीसीटीवी नहीं लगाएं गए हैं। यह जानकारी मंगलवार को बीएमसी प्रशासन ने दी।

इस बाबत शिवसेना की नगरसेविका शीतल म्हात्रे ने बीएमसी से जानकारी मांगी थी। म्हात्रे ने कहा कि अस्पतालों और प्रसूति गृहों से गायब होने वाले नवजात शिशुओ की कई घटनाए सामने आई है। इसे देखते हुए हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने का निर्देश दिया था। लेकिन इस बारे में पालिका लापरवाही बरत रही है।कई स्थानों पर सीसीटीवी नहीं लगा है और जहाँ लगे भी हैं तो वहां काम नहीं कर रहे हैं। म्हात्रे ने बीएमसी पर आरोप लगाया है कि नागरिक प्रशासन और नगरपालिका आयुक्त इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

महापालिका आयुक्त ने स्वीकार किया है कि 18 नागरिक अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे अभी तक स्थापित नहीं किए गए हैं।

म्हात्रे का कहना है कि सीसीटीवी कैमरे का प्रबंधन करने का टेंडर 2009 में ही समाप्त हो गया है, फिर भी बीएमसी ने इस संबंध में व्यवस्था नहीं की है। ऐसा करके बीएमसी शिशुओं और उनकी मां के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है।

आपको बता दें कि वर्ष 2009 में सायन अस्पताल से एक नवजात शिशु चोरी हो गई थी। इसके आधार पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी को अपने अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था और बीएमसी ने इस संबंध में भी फैसला लिया था। 27 अस्पतालों और आठ प्रसूति गृहों में कैमरों की स्थापना की गई थी लेकिन 18 अस्पताल अभी भी इस सुविधा से वंचित हैं।


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