न्यायमूर्ती अभय ओक की बीएमसी को सलाह, प्रतिज्ञापत्र देते समय कॉपी पेस्ट करने से बचे!

गैरकानूनी और अनाधिकृत निर्माणकार्य विषय पर बीएमसी अधिनियम और एमआरटीपी अधि‍नियम और न्यायालय के सामने पेश किये जानेवाले कागजातों को लेकर य.ल.नायर धमार्थ अस्पताल और टोपीवाला राष्ट्रीय मेडिकल महाविद्यालय में शनिवार को आयोजित की गई। इस चर्चा सत्र में बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ती अभय ओक ने बीएमसी को सलाह की अनाधिकृत निर्माण कार्य मामले में कोर्ट में पेश होनेवाले कागजतों के कॉपी पेस्ट से बीएमसी को बचना चाहिये।

एक अधिकारी के पास एक विषय ही दे

मुंबई उच्च न्यायालया के न्यायमूर्ती संदीप शिंदे ने इस चर्चा सत्र में मार्गदर्शन करते हुए कहा की बॉम्बे हाईकोर्ट में बीएमसी की 76 हजार से भी ज्यादा मामले है, बीएमसी को मामले में लोगो से मिलकर इस बात को जानना चाहिए की उनको इन मामलों से क्या उम्मीदें है। इसके लिए एक अधिकारी को एक विषय ही देकर उसके साथ वकिलों का चयन और उस विषय पर सही तरीके से अभ्यास की करना चाहिए जिससे मामले को सही तरिके से कोर्ट के सामने रखा जा सके। इसके साथ ही कानून के ज्ञान वाले नोडल अधिकारियों को विभागीय स्तर पर नियुक्त किया जाना चाहिए ताकि वे मामलों को हल करने में मदद कर सकें।

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हर साल चार हजार मामलो का बैकलॉग

हर साल 27 हजार मामले बीएमसी के खिलाफ या फिर बीएमसी की ओर से दाखिल किये जाते है। बीएमसी कमिश्नर का कहना है की इन सभी मामलों में से 4 हजार मामले बॅकलॉग होते है। बीएमसी के ज्येष्ठ विधी अनिल साखरे ने एमआरटीपी अधि‍नियम के विषय पर तो नरेंद्र वालावलकर ने बीमएसी एक्ट 1888 पर विस्तार रुप से चर्चा की।

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इस चर्चा सत्र में उप आयुक्त (विशेष) निधी चौधरी, नायर अस्पताल के अधिष्ठाता डॉ.रमेश भारमल, बीएमसी उप आयुक्त, सहाय्यक आयुक्त के साथ साथ अधिकारी और 225 कानून अधिकारी उपस्थित थे।

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