मुंबई : करीब 4 हजार लोगों पर अभी भी है भूस्खलन का खतरा

मुंबई (Mumbai) में अभी हाल ही में बारिश (rain) के कारण पहाड़ की मिट्टी और पत्थर बड़ी मात्रा में कुछ झोपड़ों पर आ गिरे, जिसके कारण झोपड़ों में रहने वालों की मौत हो गई। मुंबई में यह घटना कोई पहली बार नहीं घटी है, इसके पहले भी इस तरह की घटनाएं घट चुकी हैं। इन घटनाओं के पीछे अवैध अतिक्रमण के साथ साथ सरकार और प्रशासन का ढुलमुल रवैया भी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य सरकार ने पहाड़ों पर से दरकने वाले चट्टानों और मिट्टियों को रोकने के लिए रिटेनिंग वॉल (retaining wall) यानी सुरक्षा बाउंड्री को बनाने के लिए पूरे फंड को जारी ही नहीं किया है।

रिपोर्टों के अनुसार, बारिश में पहाड़ों से पत्थर और मिट्टी दरक कर रिहायशी इलाकों में न गिरे इसके लिए भाजपा विधायक मिहिर कोटेचा (mihir kotecha) ने साल 2019 में कहा था कि म्हाडा की तरफ से ढलानों पर 2 किमी लंबी रिटेनिंग वॉल बनाने का सुझाव दिया था। भांडुप और मुलुंड जैसे इलाको में इस कार्य के लिए 10.5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने केवल 1.3 करोड़ रुपये की ही अनुमति दी। इस प्रकार दीवार का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही बन पाया।

विधायक के अनुसार, भूस्खलन (land slide) से निवासियों की जान का खतरा होता है। चूंकि दीवार कई स्थानों पर मौजूद ही नहीं है, और जहां यह मौजूद है वह जर्जर स्थिति में है। इसे फिर से बनाने या फिर से मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने इसका कारण फंड की कमी को बताया है। हालांकि उन्होंने अपनी इस चिंता को जिला योजना और विकास समिति (DPDC) से भी अवगत करा दिया है।

जबकि इस बात की भी खबर है कि, डीपीडीसी द्वारा धनराशि स्वीकृत करने के बाद, म्हाडा द्वारा नियुक्त किये गए ठेकेदारों ने दीवार का निर्माण कराया है।

सूत्रों का यह भी कहना है कि, दीवार निर्माण के लिए बार-बार मांग कीजा रही है लेकिन इन मांगों को अनसुना कर दिया जा रहा है। हालांकि, मुंबई उपनगर के पालक मंत्री आदित्य ठाकरे (Aditya thackeray) और डीपीडीसी अध्यक्ष ने दीवारों के निर्माण का आश्वासन दिया है।

लोगों का यह भी कहना है कि, दिसंबर 2019 से रिटेनिंग वॉल बनाने को प्राथमिकता दी गई है।पिछले वर्ष जो अनुरोध आए थे, उनके लिए उपलब्ध धनराशि दी गई है, इस वर्ष के लिए उन्होंने जिला योजना अधिकारी को धनराशि का वितरण सुनिश्चित करने के लिए कहा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 4,000 झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले परिवार, मुलुंड पहाड़ियों पर भूस्खलन के जोखिम में रहते हैं।  

गौरतलब है कि, पिछले सप्ताह शहर में दो अलग-अलग भूस्खलन की घटनाओं में 29 लोगों की जान चली गई। बीएमसी हर बार इन झुग्गियों में रहने वालों को वहां से हटने की चेतावनी देती है, बावजूद इसके, स्थानीय लोग जाए तो जाएं कहां,  वे अपनी जान जोखिम में डाल कर वहां रहने को मजबूर हैं।

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