मुंबई - क्या बीएमसी स्क्रैप कंपनियों के मालिकों का समर्थन करती है? ये पुछना है सामाजिक कार्यकर्ता डॉ यूसुफ खान का । उच्च न्यायालय ने पानी की पाइपलाइनों पर बनाए गए झोपड़ियों को साफ करने के आदेश बीएमसी प्रशासन को दिए थे।
बावजूद इसके मुंबई के कई इलाको में स्थिती जस की तस बनी हुई है। बात करे माहिम की पाईप लाइन की तो माहिम की पानी पाइपलाइन पर कचरे के साथ साथ अब लोगों ने अतिक्रमण करना भी शुरु कर दिया है। जिससे आसपास के रहनेवाले लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
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सामाजिक कार्यकर्ता डॉ यूसुफ खान का मानना है कि बीएमसी स्वच्छ मुंबई अभियान के तहत पैसे बर्बाद कर रही है, लेकिन जमीन पर उसका कोई असर नहीं दिख रहा है।माहिम इलाके में कई स्क्रैप रीसाइक्लिंग कंपनियां हैं जो रबर बूट, दवाएं, प्लास्टिक की थैली, थर्मोकोल, जूते, स्टिकर जैसे कचरे को यहां फेंक देते हैं। जिसके कारण इसलिए पानी की पाइपलाइनें डंपिंग ग्राउंड बन गई हैं।
हालांकी की जब इस मामलें में जी/उत्तर सहायक आयुक्त रमाकांत बिरजदार से बात की गई तो उन्होने कार्रवाई का आश्वास दिया।
"हम इस मामले की जांच करेंगे और पाइपलाइनों को साफ करेंगे I इसी तरह, हम स्क्रैप कंपनी मालिकों के खिलाफ भी कार्रवाई करेंगे"- जी/उत्तर सहायक आयुक्त रमाकांत बिरजदार