मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र लोक न्यास अधिनियम, 1950 में संशोधन को मंज़ूरी दे दी गई है, जिससे सहायक धर्मादाय आयुक्त, ग्रुप-ए संवर्ग के पद के लिए तीन वर्ष का कानूनी अनुभव अनिवार्य हो जाएगा। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की।(Legal experience now mandatory for the post of Assistant Charity Commissioner)
तीन वर्ष का कानूनी अनुभव अनिवार्य
सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि न्यायिक मामलों में अनुभव के बिना नए लॉ ग्रेजुएट केवल डिग्री के आधार पर सिविल न्यायाधीश (जूनियर स्तर), प्रथम स्तर न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्ति के लिए अपात्र हैं। तदनुसार, नामांकन द्वारा सहायक धर्मादाय आयुक्त, ग्रुप-ए के अर्ध-न्यायिक पद पर नियुक्ति के लिए तीन वर्ष का कानूनी अनुभव अनिवार्य करने हेतु महाराष्ट्र लोक न्यास अधिनियम में संशोधन को मंज़ूरी दी गई।
अनुभव को आवश्यकता
सहायक धर्मादाय आयुक्त के पद की ज़िम्मेदारियाँ अर्ध-न्यायिक प्रकृति की होती हैं। इसलिए, केवल किताबी ज्ञान से मुद्दों को संभालने की गुणवत्ता और संवेदनशीलता प्राप्त नहीं की जा सकती। इसके लिए प्रत्यक्ष पैरवी, पक्षकारों से संपर्क और न्यायनिर्णयन प्रक्रिया में भागीदारी आवश्यक है।
इसके लिए, अनुभव को अनिवार्य बनाने का निर्णय लिया गया। इससे सरकार को अनुभवी और गुणवत्तापूर्ण अधिकारी मिलेंगे जो न्याय प्रक्रिया के लिए लाभदायक होंगे। इससे पक्षकारों, न्यासियों और नागरिकों को लाभ होगा।
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