मुंबई विश्वविद्यालय ने सौर तूफान के रहस्यों को कम किया

भारतीय रिसर्चर्स ने मई 2024 में धरती से टकराने वाले सोलर स्टॉर्म गैनन सुपरस्टॉर्म के पीछे का साइंटिफिक कारण बताया है। यह पिछले दो दशकों का सबसे ताकतवर सोलर स्टॉर्म था।मुंबई यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स भी इस रिसर्च में शामिल हैं, जिससे यूनिवर्सिटी ग्लोबल स्पेस रिसर्च में लीडर बन गई है।(Mumbai University unravels the mystery of solar storms)

धरती के साइज़ से लगभग 100 गुना बड़ा 

द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में छपी एक स्टडी के मुताबिक, मई 2024 में सूरज से एक के बाद एक कई बड़े सोलर फ्लेयर्स निकले।इन फ्लेयर्स ने स्पेस में एक बहुत बड़ा मैग्नेटिक रीकनेक्शन बेल्ट बनाया, जो धरती के साइज़ से लगभग 100 गुना बड़ा था, या 1.3 मिलियन km चौड़ा था।इस प्रोसेस की वजह से सोलर स्टॉर्म ज़्यादा तेज़ी से धरती पर पहुँचा। इस सोलर स्टॉर्म का सैटेलाइट नेविगेशन, कम्युनिकेशन सिस्टम और धरती के मैग्नेटिक शील्ड पर बड़ा असर पड़ा।

आदित्य-L1 मिशन के साथ-साथ NASA के छह स्पेसक्राफ्ट से इकट्ठा किए गए डेटा

यह खोज भारत के आदित्य-L1 मिशन के साथ-साथ NASA के छह स्पेसक्राफ्ट से इकट्ठा किए गए डेटा और ऑब्ज़र्वेशन पर आधारित है।इस रिसर्च को ISRO के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डॉ. अंकुश भास्कर और उनके स्टूडेंट शिबितोष बिस्वास ने लीड किया। इस काम में मुंबई यूनिवर्सिटी के प्रो. अनिल राघव का गाइडेंस बहुत ज़रूरी रहा है। उनके सहयोग से PhD स्टूडेंट्स अजय कुमार और कल्पेश घाग ने एनालिसिस और डेटा स्टडी में योगदान दिया।

साइंटिफिक सहयोग बढ़ाने का इरादा 

इस भागीदारी ने ग्लोबल लेवल पर भारत की स्थिति को हाईलाइट किया है। भविष्य में साइंटिफिक सहयोग बढ़ाने का इरादा जताया गया है।स्पेस साइंस के क्षेत्र में भारतीय रिसर्च के हाई लेवल को दिखाने वाली यह खोज देश और मुंबई यूनिवर्सिटी के लिए एक मील का पत्थर बन गई है।यूनिवर्सिटी ने कहा है कि यह मुंबई यूनिवर्सिटी के लिए गर्व का पल है।

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