अब बिल़्डर भी बेच सकेंगे पार्किंग की जगह

सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार बिल्डर अब तक अपनी इमारत की पार्किंग की जगह नहीं बेच सकते थे। जिसके कारण पार्किंग के लिए भी बिल्डर ग्राहकों से ही पैसे लेते थे। पार्किंग के पैसे लेने के कारण फ्लैटों के दाम काफी बढ़ जाते थे, लेकिन 1 मई से लागू होने वाले फैसले के अनुसार अब बिल्डर इमारत की पार्किंग की जगह भी बेच सकते हैं। ग्राहकों को पार्किंग की जगह लेना अनिवार्य नहीं होगा। जिन्हें पार्किंग खरीदनी है उन्हे बिल्डर से पार्किंग की जगह खरीदनी होगी। 1 मई से लागू होनेवाली महाराष्ट्र गृहनिर्माण नियामक प्राधिकरण के कानून में इस संबंध में बदलाव किये गए हैं।

कोर्ट ने एक निर्णय देते हुए कहा था की पार्किंग और टेरेस बेचने की जगह नहीं है। इस जगह का मालिकाना हक सोसायटी के पास होता है और सोसायटी ही फैसला करती है कि इस जगह का इस्तेमाल कैसे किया जाए। जिसके कारण पिछलें 10 से 15 सालों तक पार्किंग की जगह नहीं बेची जा सकी। तो वहीं हर बिल्डर को इमारत में पार्किग के लिए जगह बनाना अनिवार्य होता है।

स्टील्ट पार्किंग, बेसमेन्ट पार्किंग, पोडिमय पार्किंग जैसी सुविधा देने के बाद इसका खर्च कैसे निकाला जाए अब बिल्डरों के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है। पहले जिन ग्राहकों को पार्किंग की जरुरत नहीं होती थी, उन्हें भी पार्किंग की जगह लेनी होती थी। लेकिन अब नए कानून के मुताबिक ग्राहकों पर पार्किंग की जगह लेने का दबाव नहीं होगा। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य आनंद गुप्ता का कहना है कि अब जिन ग्राहकों को पार्किंग चाहिए होगी, उन्हें उसके लिए पैसे देने होंगे।
महाराष्ट्र सोसायटीज वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश प्रभु का कहना है कि सरकार के इस फैसले के बाद अब ग्राहकों को काफी आसानी होगी साथ ही उनपर पैसों का कम दबाव बनेगा। जिन ग्राहकों को पार्किंग की जगह नहीं चाहिए होगी, ऐसे ग्राहकों पर जबरदस्ती पार्किंग के लिए एक्सट्रा पैसों की मांग नहीं की जा सकती।

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