जनऔषधी केंद्रों की संख्या बढ़ी

मरीजों को सस्ती दरों पर अच्छी दवाएं उपलब्ध हो सके इसीलिए सरकार की तरफ से भारतीय जनऔषधी सेंटर योजना शुरू की गयी थी। शुरू में इन सेंटरों की संख्या कम थी, लेकिन सस्ती दवा के कारण इनकी लोकप्रियता बढ़ी और अब धीरे धीरे इनकी संख्या बढ़ कर 119 हो गई है जो पहले मात्र 53 ही थी। यह आंकड़ा मुंबई सहित राज्य भर का है।

अप्रैल महीने में सरकार की तरफ से भी डॉक्टरों द्वारा मरीजो को जेनेरिक दवाए ही लिखने की बाध्यता कर दी गई। यही नहीं रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने भी रेलवे स्टेशनों और रेलवे परिसरों में नऔषधी केंद्र शुरू करने की घोषणा की है।

2008 में कांग्रेस ने जनऔषधी केंद्र योजना लाई थी लेकिन किन्ही कारणों से यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी थी। 2014 में बीजेपी जब सत्ता में आई तो योजना पर अमल करते हुए जनऔषधी केंद्र की स्थापना की और इसके लिए लोगों को जागरूक करना शुरू किया। यही नहीं डॉक्टरों द्वारा मरीजों को भी जेनेरिक दवाए ही लिखी जाए ऐसी बाध्यता की , और ऐसा न करने पर डॉक्टर और अस्पतालों पर कार्रवाई करने की भी घोषणा की।

जब जनऔषधी केन्द्रों की शुरुआत हुयी थी उस समय मुंबई सहित महाराष्ट्र में मात्र 53 ही जनऔषधी केंद्र थे, लेकिन अब लोग जागरूक हो रहे हैं और जनऔषधी केन्द्रों की लोकप्रियता भी बढती ही जा रही है इसिलिये इसकी संख्या अब बढ़ रही है।

6 महीने में जनऔषधी केन्द्रों की संख्या 


जनवरी 2017 

मुंबई - 02
महाराष्ट्र - 53

जून - 2017

 मुंबई - 05
महाराष्ट्र - 119

मुंबई में इस समय जनऔषधी केन्द्रों की संख्या 5 है जबकि राज्य भर में 119 है। जनआरोग्य अभियान के कार्यकर्ता उमेश खके अनुसार जनऔषधी केन्द्रों की संख्या का बढ़ना लोगों के लिए अच्छी बात है, लेकिन अभी भी कई ऐसे प्राइवेट अस्पताल और दवाखाने के डोक्टर्स हैं जो मरीजों को जेनेरिक दवाए नहीं लिखते हैं। इस बारे में अभी भी कड़े कानून बनाए जाने की जरुरत है।


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