डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए अलग अलग अस्पतालों में 400 सुरक्षा जवानों को तैनात किया गया है। लेकिन मुद्दा यह है कि क्या इससे डॉक्टरों पर हो रहे हमले रुक जाएंगे। क्या तैनात रक्षक अपना काम ठीक से निभा रहे हैं।
इसको लेकर मुंबई ने केईम और नायर अस्पताल जाकर एक पड़ताल की। इस पड़ताल में मुंबई लाइव ने पाया कि जवान मरीजो को देखने के लिए आने वाले परिजनों की तलाशी लेकर ही उन्हें अंदर जाने दिया जा रहा था साथ ही उन्हें पास भी मुहैया कराया जा रहा था।
अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो तैनात जवानों की संख्या काफी कम है। केइएम अस्पताल में लगभग 7 हजार मरीज हैं। अगर एक मरीज को देखने के लिए कम से कम 2 परिजन भी आते हैं तो इनकी संख्या लगभग 21 हजार तक हो जाती है। अब इतनी संख्या में जवान कम ही हैं।
अब जिन जवानों की तैनाती की जा रही हैं उनके खर्च का जिम्मा पालिका उठाएगी या फिर अस्पताल प्रशासन, अभी इस बारे में तय नही हुआ है।
इस बारे में जेजे अस्पताल के डीन डॉ. तात्याराव लहाने ने आशा जताई है कि जवानों की तैनाती से मारपीट में कमी आएगी। जबकि नायर अस्पतला में भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गये हैं। नायर अस्पताल के मुख्य प्रवेशद्वार, अपघात विभाग और अतिदक्षता विभाग में भी जवान तैनात हैं।