बीएमसी के अरबों रूपये का काम काज देखने की जिम्मेदारी मात्र एक चार्टर्ड अकाउंटेंट पर, RTI से हुआ खुलासा

एशिया की सबसे धनाढ्य म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में से एक मुंबई महानगर पालिका का लेखा परीक्षक विभाग मात्र एक सीए से काम चला रहा है। यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है एक आरटीआई के द्वारा। बीएमसी के इस बार का वार्षिक बजट 27 हजार करोड़ रूपऐ तक का है लेकिन उसका हिसाब-किताब भगवान भरोसे ही चल रहा है।

मुंबई के जानेमाने आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने आरटीआई के द्वारा बीएमसी से जानकारी मांगी थी कि बीएमसी के लेखा परीक्षक विभाग में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों में से कितने लोग सीए यानी चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं।

सामान्य प्रशासन के उप विभाग प्रमुख ने इस आरटीआई का जवाब देते हुए बताया कि उप विभाग प्रमुख (वित्त) विभाग में सीनियर लेखा परीक्षक और लेखा सहायक पद पर कार्यरत मात्र एक कर्मचारी ही चार्टर्ड अकाउंटेंट है जिनका नाम महेंद्र कुमार भगवानसिंह राजपूत है।

आपको बता दें कि बीएमसी का जो बजट है वह भारत के छोटे राज्यों से भी अधिक होता है। इतनी बड़ी राशि कहां खर्च हो रही है, पैसे पर नियंत्रण कैसे रखना है आदि का काम लेखा परीक्षक विभाग द्वारा किया जाता है। जाहिर सी बात है कि इतनी बड़ी राशि का काम देखने के लिए कई सीए भी होने चाहिए, लेकिन है बिलकुल विपरीत।

इस बारे में अनिल गलगली ने बताया कि इतनी बड़ी बीएमसी में मात्र एक व्यक्ति ही चार्टर्ड अकाउंटेंट का होना चिंताजनक बात है, अगर पर्याप्त मात्रा में सीए होंगे तो बीएमसी में होने वाले करप्शन की पोल समय रहते ही खुल सकेगी।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस विभाग में प्रमुख लेखापाल, उपप्रमुख लखापाल सहित ऐसे विभिन्न 18 पदनाम वाले 1473 अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं जिसमें मात्र एक व्यक्ति ही सीए है। बीएमसी के लेखापरीक्षक विभाग में कुल 559 पद है जिसमें काम कर रहे कई कर्मचारियों में से कोई भी सीए नहीं है।

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