अनाथों के लिए भी नौकरी में आरक्षण

माता-पिता के बिना अनाथालय के बच्चे को बाहर की दुनियां में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। चाहे नौकरी हो या प्रतियोगी परीक्षा, हर जगह अनाथ बच्चों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब उनकी इस समस्या को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओंके साथ साथ अब नौकरियों में भी अरक्षण देने का फैसला किया है। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में, राज्य में अनाथों को खुली श्रेणी( ओपन कैटेगरी) 1% समानांतर आरक्षण देने का फैसला लिया गया। महिला व बालविकास मंत्री पंकजा मुंडे ने इसकी जानकारी दी।

आरक्षण ना होने के कारण होते थे वंचित

माता-पिता के निधन के कारण हजारों बच्चों अनाथालय में छोड़ दिया जाता है। 18 साल की आयु पूरी होने के बाद उन्हे बाहरी दुनियां में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद वे अनाथालय में नहीं रह सकते। अनाथ बच्चों को बैंक से ऋण , रोजगार, शिक्षा जैसी कई सुविधाओं का फायदा नहीं मिलता था। इन बच्चों को फीस रियायत, छात्रवृत्ति भी नहीं मिलती थी।

महिला व बालविकास मंत्री पंकजा मुंडे का कहना है की अनाथ बच्चों के बारे में ये मुद्दा पिछलें काफी समय से लंबित था। जिसपर राज्य सरकार ने इस बारे में फैसला लेते हुए अब शिक्षा के साथ साथ अनाथ बच्चों को नौतरी में भी आरक्षण देने का फैसला किया है।

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