11 मार्च को सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका पर फैसला

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह 11 मार्च को प्रतिबंधित सीपीआई-माओवादी के साथ कथित संबंधों के लिए एलगार परिषद मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका पर आदेश पारित करेगी।भारद्वाज और अन्य कार्यकर्ताओं अरुण फरेरा और वर्नोन गोंसाल्वेस को पिछले साल 28 अगस्त को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अक्टूबर, 2018 को पुणे की एक विशेष अदालत ने भारद्वाज की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।

पुलिस के अनुसार 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गर परिषद के सम्मेलन में किए गए भाषणों के कारण अगले दिन पुणे जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी। पुलिस ने दावा किया है कि इस हिंसा को माओवादियों द्वारा समर्थित किया गया है। भारद्वाज के वकील युग चौधरी ने गुरुवार को जस्टिस एन डब्ल्यू सेमरे की पीठ को बताया कि किसी अन्य व्यक्ति के कंप्यूटर पर मिले दस्तावेजों और पत्रों का इस्तेमाल कर भारद्वाज को फंसाने की कोशिश की जा रही है।

मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी। पिछले साल अगस्त से जेल में बंद भारद्वाज ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की। भारद्वाज के वकील युग चौधरी ने जस्टिस एन डब्ल्यू सांबरे की पीठ को बताया कि यह दस्तावेज कानून वैध सुबूत नहीं हैं। यह हस्तलिखित होने के बजाय टाइप किए गए हैं साथ ही इनमें किसी के हस्ताक्षर नहीं है। ऐसे में इनकी प्रमाणिकता और स्रोत का सत्यापन नहीं हो सकता।

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