इन रहवासियों को इमारत का रखरखाव करने को आवश्यकता

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है कि सहकारी आवास समिति के फ्लैटों में रहने वाले निवासियों को, यदि वे इमारत की सामान्य सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं, तो मासिक रखरखाव शुल्क देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

रखरखाव शुल्क देना अनिवार्य

न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि सोसायटी के फ्लैट में रहने वाले और जल आपूर्ति, सुरक्षा और स्वच्छता जैसी सेवाओं का लाभ उठाने वाले व्यक्ति को, भले ही वह मूल मालिक न हो, रखरखाव शुल्क देना अनिवार्य है।

हाइकोर्ट में आदेश को चुनौती

गिरि छाया सहकारी आवास समिति ने सहकारी अपीलीय न्यायालय द्वारा जनवरी 2023 में दिए गए आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने समिति की याचिका पर सुनवाई की।सहकारी न्यायालय ने एक फ्लैट में रहने वाले प्रकाश लालीवाला से 12.25 लाख रुपये का बकाया वसूलने के सोसायटी के दावे को खारिज कर दिया था। सहकारी अपीलीय न्यायालय ने उस फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद मामला उच्च न्यायालय में लाया गया।

बार अनुरोध के बावजूद रखरखाव शुल्क का भुगतान नहीं 

सोसायटी के अनुसार, 1992 में प्रकाश लालीवाला की माँ सुशीला लालीवाला की मृत्यु के बाद, उनके कानूनी उत्तराधिकारी फ्लैट में रहते रहे। लेकिन बार-बार अनुरोध के बावजूद, रखरखाव शुल्क का भुगतान नहीं किया गया। सोसाइटी ने 2009 से 2015 तक छह वर्षों के लिए 18 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर पर बकाया राशि वसूलने का प्रयास किया था। अपील अदालत ने सोसाइटी के दावे को खारिज कर दिया और कहा कि उसकी समय सीमा समाप्त हो चुकी है।

रखरखाव शुल्क भरना जरूरी

न्यायमूर्ति बोरकर ने सहकारी अपील अदालत के निष्कर्षों को खारिज कर दिया। रखरखाव शुल्क का भुगतान करने की बाध्यता निरंतर और आवर्ती है। सोसाइटी नियमित रूप से त्रैमासिक बिल जारी करती रही है, जिस पर प्रतिवादियों ने कभी आपत्ति नहीं की। अदालत ने कहा कि जब तक निवासी सामान्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे थे, रखरखाव शुल्क वसूलने की कार्रवाई निरंतर जारी रही।

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