तीन महिलाओं ने सर्वोच्च न्यायालय में गर्भपात पर दायर की याचिका

कुछ दिन पहले, तीन महिलाओं ने डॉक्टरों के साथ पुष्टि करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में गर्भपात के लिए याचिका दायर की है। इन तीनों महिलाओं का कहना है की उनकी गर्भ में पल रहे भ्रूण असामान्य है, एक महिला के भ्रूण का गुर्दा विफल हो गया है तो वही अन्य महिलाओं के भ्रूण के मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं हुए है।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ निखिल दातार का कहना है की इस मामले में सुनवाई अगले हफ्ते होगी। कई महिलाएं 20 सप्ताह के बाद भ्रूण में असामान्यताओं के बारे में जानती है , इसलिए गर्भावस्था अधिनियम 1971 में संशोधन की आवश्यकता है।

अब तक, मुंबई में, 15 महिलाओं ने असामान्यताओं के कारण 20 सप्ताह पूरा करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में गर्भावस्था के चिकित्सा समाप्ति के लिए एक याचिका दायर की। 15 में से 13 महिलाओं को अनुमति मिली और शेष दो को अनुमति नहीं मिली।

भारतीय कानून के मुताबिक, गर्भावस्था अधिनियम 1971 की चिकित्सा समाप्ति में महिलाओं को गर्भपात की अनुमति तभी मिलती है जब तक की उनका भ्रुण 20 सप्ताह पूरा ना हो लेकिन, 20 सप्ताह पुरा होने के बाद गर्भपात की अनुमति नहीं दी जाती।

डॉ निखिल दातार 2008 के गर्भपात के इस कानून में संसोधन के लिए लड़ रहे है की 20 सप्ताह की जगह इसे बढ़ाकर 24 सप्ताह कर लिया जाए।

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