42 तबेला मालिकों के सामने पुनर्वसन का संकट

मुंबई - 42 तबेला मालिकों के परिवार मेट्रो 3 के चलते अपने घरों को खोने वाले हैं, लेकिन ना तो मुंबई मेट्रो रेल निगम ने और ना ही आरे डेयरी विकास प्राधिकरण ने इन परिवारों को पुनर्वासित करने के लिए कोई योजना बनाई है।

1952 में तबेला मालिकों के परिवारों को दक्षिण मुंबई से आरे कॉलोनी में पुनर्वास किया गया। तब से इन परिवारों ने आरे कॉलोनी के 32 इकाइयों तक अपना व्यापार बढ़ाया है। हालांकि, 32 इकाइयों में से 19 इकाइयों के 42 परिवार मेट्रो-3 के चलते अपने घर खोने वाले हैं, जिसके लिए इनका पुनर्वास किया जाना है। एक ही एक बैठक आरे डेयरी विकास और एमएमआरसी द्वारा इन्हें इस जानकारी से अवगत करा दिया गया था, लेकिन कोई कदम अब तक नहीं उठाया गया है।

तबेला मालिक एलजे सिंह का कहना है कि "हमारा तबेला और घर एक ही स्थान पर है और हम लगभग 1.30 बजे हमारे काम शुरू करते हैं। हमारा पुनर्वास कर रहे हैं, तो हम कैसे काम करेंगे। उन्हें आरे कॉलोनी के पास पुनर्वास करना चाहिए। उनके पास पुनर्वास की कोई योजना तैयार नहीं है और वे हमारे घरों से हमें बाहर निकालना चाहते हैं।"

वहीं आरे डेयरी विकास के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नाथू राठौड़ का कहना है कि प्रभावित परिवारों को पुनर्वासित करने की जिम्मेदारी एमएमआरसी की है और एमएमआरसी अपनी जिम्मेदारी स्वीकार कर रही है। उन्होंने कहा कि वे एमएमआरसी के संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। पुनर्वास पर पुनर्वास विभाग प्रमुख माया पाटोले ने कहा कि वह इस बारे में पूरी जानकारी करने के बाद जवाब देंगी।

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