इंसानियत भूल गई वर्दी

  • शिवशंकर तिवारी & मुंबई लाइव टीम
  • क्राइम

बोरीवली, 27 अक्टूबर, रात का समय, हुई एक ऐसी घटना जिसने लोगों को सन्न कर दिया। गुरुवार की रात लगभग 12:30 बजे, लिंक रोड एमएचबी पुलिस स्टेशन के सामने, एक स्कूटी सवार महिला को किसी वाहन ने जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि महिला के दोनों पैर फैक्चर हो गए। महिला आधा घंटे तक सड़क पर तड़पती रही, चीखती रही। वह अपने शरीर का एक भी हिस्सा नहीं हिला पा रही थी। पर पास खड़ी पुलिस तमाशबीन बनी रही। और एंबुलेंस के आने का रोना रोती रही।

संविधान कि धारा 21 में जीने का अधिकार दिया गया है। जिसके तहत

व्यक्ति सड़क हादसे में घायल होता है तो उसे तुरंह ही नजदीकी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया जाना चाहिए।

सरकारी या निजी अस्पताल घायल व्यक्ति को एडमिट करने के लिए उसकी मदद करने वाले से पैसा नहीं मांग सकता।

पीड़ित को सबसे पहले प्रथम उपचार दिया जाना चाहिए।

लेकिन पुलिस स्टेशन के सामने ही तड़पती इस महिला कि मदद के लिए एक भी पुलिसवाला आगे नहीं आया। पुलिस ने सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए एंबुलेंस बुलाई थी। अब सवाल उठता है कि

अगर इस दौरान महिला को कुछ हो जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होता?

अगली खबर
अन्य न्यूज़