सुरेश दुबे मर्डर केस- भाई ठाकुर सहित 2 अन्य आरोपी बरी

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कुख्यात गैंगस्टर जयेंद्र उर्फ भाई ठाकुर और दो अन्य को बुधवार को पुणे में विशेष न्यायाधीश एसआर नवंदर की अदालत ने सनसनीखेज सुरेश दुबे हत्याकांड में बरी कर दिया। उनका बरी होना देश में आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, जिसे टाडा के नाम से भी जाना जाता है, के तहत दायर अंतिम मामले का निष्कर्ष है। टाडा कानून के तहत दर्ज देश के इस आखिरी मामले मे कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया है।   (Suresh Dubey Murder Case 2 other accused including bhai vishnu Thakur acquitted)

17 अभियुक्तों को किया गया था गिरफ्तार 

1992 में बिल्डर सुरेश दुबे की हत्या के सिलसिले में 17 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से छह आरोपियों  को सर्वोच्च न्यायालय ने दोषी ठहराया था। ठाकुर, जो अब 70 वर्ष के हैं, और अन्य, अब निरस्त टाडा अधिनियम के तहत आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश के आरोप में मुकदमे को पुणे की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था। 

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संलिप्तता के लिए छह व्यक्तियों- नरेंद्र भालचंद्र भोईर, ज्ञानेश्वर पाटिल, उल्हास राणे, पैट्रिक टस्कानो, राजा जाधव और माणिक पाटिल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि जयंत उर्फ भाई विष्णु ठाकुर, दीपक ठाकुर और गजानन पाटिल को बरी कर दिया गया है। 

बिल्डर सुरेश दुबे  को 9 अक्टूबर 1989 को नालासोपारा रेलवे स्टेशन पर बुरी तरह से गोली मार दी गई थी। पुलिस ने 2004 में शस्त्र अधिनियम के तहत अवैध रूप से हथियार रखने से संबंधित आरोपों के साथ टाडा अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू की थी।

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