तीन बार कैंसर से लड़कर दसवीं में हासिल की जीत

कहते हैं इच्छाशक्ति हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है, इसी इच्छाशक्ति का एक जीता जागता उदाहरण है सागर परमार। सागर परमार ने दसवीं में डिस्टिंक्शन मार्क सहित 78.60 प्रतिशत हासिल किया। अब आप सोचेंगे इसमें कौन सी बड़ी बात है, तो जनाब! हम आपको बता दें कि सागर कैंसर से पीड़ित लड़का है जिसे एक दो नहीं बल्कि तीन बार कैंसर हुआ है। डोम्बिवली का रहने वाला सागर बताता है कि परीक्षा के दौरान उसे रोजाना डोम्बिवली से टाटा अस्पताल रेडिएशन लेने के लिए आना पड़ता था। वह आगे कहता है कि तीन बार कैंसर होने से वह डिप्रेशन में चला गया था लेकिन उसके माता-पिता, डॉक्टर्स और काउंसलर्स अमित भाटिया ने उसकी काफी मदद की।

2012 में सागर को पता चला कि उसे हड्डियों का कैंसर है। किसी तरह से सागर उस विकट परिस्थिति से बाहर निकला। 2014 में वह फिर बीमार हो गया। 2016 में फिर उसे ब्रेन ट्यूमर होने की जानकारी मिली, लेकिन सागर ने हिम्मत नहीं हारी और तमाम परिस्थितयों से जूझते हुए अपने लक्ष्य को हासिल किया। डोम्बिवली के आईएस चंद्रकांत पाटकर स्कूल में पढ़ने वाला सागर और उसका परिवार सागर की इस उपलब्धि से काफी खुश हैं।


मुझे गर्व है कि सागर मेरा बेटा है। जब रिजल्ट आया तो मुझे विशवास नहीं हुआ। बीमारी की वजह से मै उसे परीक्षा देने से मना कर रही थी लेकिन उसने जिद करके पढ़ाई और परीक्षा दी और अच्छा नंबर लाया। उसे स्कूल, अस्पताल और सभी लोगों से अच्छा सपोर्ट मिला।

हीना परमार, सागर की मां



सागर का स्वास्थ्य इस समय ठीक है। जब उसका एक्जाम शुरू हुआ तो रेडिएशन ट्रिटमेंट इलाज चल रहा था। तीन महीने तक हमने उसका इलाज किया। किमिओथेरेपी और रेडिएशन की प्रकिया बड़ी होती है, 2012 से ही उसका इलाज चल रहा है।

डॉ. सिद्धार्थ लष्कर, कैंसर विशेषज्ञ, टाटा अस्पताल


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