RTE: सरकार और स्कूलों के बीच पिसते छात्र

राइट टू एजुकेशन (RTE) के तहत समाज के गरीब और वंचित घटकों को मुफ्त में अच्छे स्कूलों में शिक्षा दी जाती है। अब प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश पाने की तारीख को 10 अप्रैल तक बढ़ाया गया है।

पहले चरण में मुंबई विभाग से 3239 छात्रों के प्रवेश के लिए स्कूलों के नाम की लिस्ट जारी की गयी थी। जिसमें से मात्र 1568 छात्रों को प्रवेश दिया गया। इसका प्रमुख कारण बताया गया कि प्राइवेट स्कूलों को सरकार की तरफ से अभी तक कोई अनुदान की राशि जारी नहीं की गयी है। इसका खामियाजा छात्र भुगत रहे हैं।

4 साले से जारी नहीं की गयी निधी 

राज्य सरकार का आदेश हैं कि सभी प्राइवेट स्कूल RTE के तहत गरीब बच्चों के लिए 25 फीसदी सीट रिजर्व रखें। लेकिन बताया जाता है कि लगभग 8000 स्कूलों को पिछले 4 साल से RTE प्रवेश शुल्क की राशि नहीं प्रदान की गयी है। यह राशि लगभग 800 करोड़ से उपर की बताई जाती है।

'सरकार पैसा देने का वादा लिखित में दें'

इस बारे में फेडरेशन ऑफ स्कूल्स एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र का कहना है कि सरकार RTE के तहत प्रवेश पाए गए छात्रों का खर्च जारी नहीं कर रही है तो उसका घाटा हम क्यों सहें? सरकार को जल्द से जल्द निधी जारी करना चाहिए,या फिर वे हमें पैसे देने बाबत लिख कर दें।

तो 7 अप्रैल को स्कूल होंगे बंद

यही नहीं सरकार द्वारा जारी इस लेट लतीफी के विरोध में फेडरेशन ऑफ स्कूल्स एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र ने राज्य भर में 7 अप्रैल को स्कूलों को बंद करने ला निर्णय लिया है। इसी बीच सरकार की तरफ से RTE के तहत स्कूलों में प्रवेश की तारीख को बढ़ा कर 10 अप्रैल कर दिया गया है।

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