बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को लिए ओपन स्कूल

गरीबी अथवा अन्य किसी कारणों से मुख्य शिक्षा से दूर हो चुके बच्चे या फिर ग्रामीण भागों में रहने वाले बच्चे जो शहरों में आ और जा नहीं सकते हैं ऐसे बच्चों के लिए राज्य सरकार ने मुक्त विद्यालय (ओपन स्कूल) की सथापना की है। अब बच्चे घर बैठे ही और अन्य दूसरे कार्य करके भी अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। यह पढ़ाई 5 वीं से 12 वीं कक्षा के लिए होगी।

ओपन स्कूल के माध्यम से छात्र अपनी सुविधा अनुसार पढ़ाई कर सकते हैं। इसके अलावा छात्र पारंपरिक विषयों के अलावा व्यावसायिक शिक्षा भी ग्रहण कर सकते हैं। इसका जिम्मा राज्य मंडल के अधिन रहेगा।

निर्धारित उम्र आवश्यक

शासन द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार 5 कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे की उम्र कम से कम 10 साल होनी चाहिए। 8 वीं के लिए 12 साल तो 10 वीं के लिए कम से कम 14 साल होना अनिवार्य है। जबकि 12 वीं के लिए छात्र की उम्र 16 साल तय की गई है।

न्यूनतम, शर्त

इन स्कूलों में प्रवेश के लिए बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य है। साथ ही बच्चे को लिखना और पढ़ना आता हो। साथ ही बच्चा जिस स्कूल में पहले पढ़ रहा था वहां का लिविंग सर्टिफिकेट भी जरुरी है। जबकि 10 वीं की परीक्षा के लिए कम से कम 2 साल तक महाराष्ट्र में रहा हो।

ओपन स्कूल का कार्य

शिक्षा से दूर हो चुके बच्चों को पढ़ाया जाएगा।

वयस्क व्यक्ति, गृहिणी, मजदुर कोई भी वर्ग शिक्षा ग्रहण कर सकता है।

बच्चों में पढ़ने की लालसा जागृत कराई जायेगी।

इस नीति का विरोध

2009 में RTE (राईट टू एजुकेशन) अधिनियम कानून के अनुसार 14 साल से कम उम्र के सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की जवाबदारी शासन की है। मुक्त विद्यालय से शासन बच्चों को स्कूल न आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस तरह से गरीब बच्चे छुट के चलते स्कूल नहीं आएंगे। शासन को इस पर विचार करना चाहिए, नहीं तो शासन के विरोध में हम आक्रामक भूमिका निभाएंगे।

- प्रशांत रेडीज, सचिव, मुंबई मुख्याध्यापक संघटना

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