मां, माता, आई और आजकल के बच्चे जिसे मॉम कहते हैं, वह किसी भी हाल में अपनी संतान को दुखी नहीं देख सकती। जब भी उसकी संतान पर आंच आई, उसने ईंट से ईंट बजा दी। संतान के सम्मान और न्याय के लिए मां परिवार से लड़ी, समाज से लड़ी, यहां तक कि पूरे सिस्टम से लड़ी, अगर इतने से भी नहीं हुआ तो उसने दुर्गा का रुप धारण कर शस्त्र भी उठाए। मां के इस जज्बे को बॉलीवुड ने सलाम करते हुए बेहतरीन फिल्मंे बनाई हैं। इस फ्राइडे को श्रीदेवी की फिल्म ‘मॉम’ रिलीज हुई है, जो मां की ममता पर ही आधारित है। ‘मॉम’ सराहना के साथ साथ कलेक्शन में भी बेहतर साबित हो रही है। तो चलिए हम आपको ले चलते हैं उन 5 फिल्मों के पास जिसने दिखा दिया कि मां से बढ़कर कोई नहीं।
‘मॉम’ की कहानी देवकी (श्रीदेवी) नाम की एक महिला की है। जिसका एक परिवार है, परिवार में पति, सौतेली बेटी आर्या और एक छोटी बेटी प्रिया है। देवकी बायोलॉजी की टीचर है, और उसकी स्टूडेंट उसकी सौतेली बेटी आर्या भी है। देवकी सौतेली बेटी को अपनी बेटी जैसा ही मानती है। इस परिवार पर मुसीबत का पहाड़ तब टूट पड़ता है जब आर्या वैलेंटाइन डे पर दोस्तों के साथ पार्टी करने जाती है और वापस नहीं लौटती। पता चलता है कि उसका रेप हुआ है, लेकिन सबूत के अभाव की वजह से उसके दोषियों को अदालत रिहा कर देती है। इसके बाद शुरू होती है बदले की कहानी। कैसी सीधी-साधी औरत बेटी के दोषियों को सजा दिलाने के लिए मां दुर्गा बन जाती है, फिल्म में इसे बाखूबी दिखाया गया है।
रवीना टंडन की 21 अप्रैल 2017 को फिल्म 'मातृ' रिलीज हुई जिसे क्रिटिक्स ने काफी सराहा था। इस फिल्म में विद्या चौहान (रवीना टंडन) एक स्कूल टीचर रहती हैं। एक दिन उन्हें और उनकी बेटी को 5 लड़के किडनैप कर लेते हैं और दोनों के साथ रेप कर वीरान जगह पर फेंक देते हैं। कुछ महीने बाद विद्या इन पांचों कुकर्म करने वाले लड़कों से बदला लेती हैं। इस फिल्म में मां की फाइट को बारीकी से दिखाया गया है।
शेखर का पिता अपनी गैंग को चलाने के लिए पोते को तैयार करना चाहता है, यानी की नंदनी और शेखर के बेटे को जो कि सिर्फ 8 साल का रहता है। पर लड़ते झगड़ते नंदनी बच्चे को लेकर गांव से भाग निकलती है।
इस फिल्म को बहुत सारे फिल्म फेस्टिवल में शामिल किया गया था। फिल्म की कहानी एक ऐसी मां की है, जो जेल से अचानक गायब हुए बेटे की तलाश में दर दर भटकती है। साथ ही प्रमाणित करने की कोशिश करती है कि उसका बेटा नक्सलवादी नहीं था। फिल्म में जया बच्चन ने मां का किरदार निभाया था। उनके इस किरदार की काफी सराहना भी हुई थी। यह फिल्म 20 मार्च 1998 को रिलीज हुई थी।