भारतमाता में दादा कोंडके की यादों का झरोखा

मुंबई - दादा कोंडके हास्य कलाकार थे और दर्शकों को उनका काम इतना अच्छा लगता था कि दादा कोंडके के नाम से वे फिल्में देखने जाते थे। मुंबई के भारतमाता सिनेमागृह में फिर से कोंडके की याद ताजा करने के लिए उनकी फिल्मों को दिखाना शुरू किया गया है।14 मार्च 1998 में दादा कोंडके को निधन हुआ था। उनकी पुण्यतिथि के औचित्य को साधते हुए भारतमाता सिनेमागृह में दादा कोंडके की फिल्में दिखाना शुरू किया गया है।

दादा कोंडके की सात मराठी फिल्मों ने गोल्डन जुबली मनाई, तभी उनका नाम ‘गिनीज बुक्स ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स’ में दर्ज हो गया। उसके बाद उनकी दो और मराठी फिल्मों ने गोल्डन जुबली मनाई। उनकी मराठी फिल्मों के नाम, ‘आली अंगावर’ यानी शरीर से चिपकने वाली, ‘तुमचं अमचं जमहं’, यानी तुम्हारी-हमारी जम गई, ‘बोट लाबिन तिथं गुदगुल्या’, यानी जहां छुओ, वहीं गुदगुदी, ‘ह्योच नवरा पाहयजे’, यानी मुझे यहीं पति चाहिए। उनकी पहली हिन्दी फिल्म का नाम हैं ‘तेरे मेरे बीच में’। यह फिल्म पहले मराठी में बना चुकी है।

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