ट्री सर्जन पर एमएमआरसी की फिजूलखर्ची

मुंबई - कुलाबा-बांद्रा-सिप्ज मेट्रो-3 प्रकल्प आरे कारशेड, पेड़ों का कत्ल, पेड़ों का पुनर्रोपण और विविध नियमों के उल्लंघन ऐसे विविध कारणों के चलते अटका पड़ा है। वहीं अब उस पर एक और भार पड़ रहा है। मेट्रो-3 प्रकल्प का खर्च किस तरह बरबाद किया जा रहा है इसका एक
चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। पेड़ों को पुनर्रोपण के लिए मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने सीधे सिंगापुर से ट्री सर्जन (ट्री कन्स्लटन्ट) मंगाया है। एमएमआरसी इस ट्री सर्जन पर केवल छह महीने में लाखों रुपए खर्च कर चुका है। इसकी जानकारी वनशक्ति के प्रकल्प संचालक स्टॅलिन दयानंद ने दी है।

सिंगापुर से बुलाए गए इस ट्री सर्जन को हर महीने 22 लाख रुपये का वेतन दिया जाता है। साथ ही छह महीने में उसके रहने, खाने-पीने पर 10 लाख 80 हजार खर्च कर दिया गया। उसके आने जाने पर 1 लाख 20 हजार टिकट पर खर्च किया जा रहा है। एमएमआरसी की इस फिजूलखर्ची पर वनशक्ति और सेव ट्री ने टिप्पणी की है। सेव ट्री के झोरू बाथेना का कहना है कि पेड़ों का कत्ल किया जा रहा है ऐसे में 22 लाख रुपए वेतन लेने वाला ट्री सर्जन कहांं है।
इस विषय पर एमएमआरसी के कार्यकारी संचालक (नियोजन) आर. रमण्णा ने सिंगापुर के ट्री सर्जन की नियुक्ति करने की बात की पुष्टी की है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के कत्ल और उनके पुनर्रोपण के लिए अच्छे ट्री सर्जन नियक्ति करने की जरूरत थी।

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