श्रवण बाधित बच्चों में जोश जगाता है 'जोश'

भारत सरकार दिव्यांगों के सामाजिक, आर्थिक उत्थान के लिए कई सारी योजनाएं चलाती है। लेकिन इस देश में ऐसे भी कई लोग हैं जो बिना सरकारी मदद के दिव्यांगों की मदद करते हैं। इन्हीं में से एक हैं जोश फाउंडेशन की सह संस्थापक देवांगी दलाल, जो बोल और सुन नहीं सकने वालों के लिए कई सारे कार्य कर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी हैं।

देवांगी दलाल एक प्रसिद्ध ऑडियोलॉजिस्ट और स्पीच थेरेपिस्ट हैं। वे पिछले 28 साल से सपने ओरयासों को सतत अंजाम दे रही हैं। वे भारत की प्रथम ऑडियोलॉजिस्ट हैं जिन्होंने साल 2012 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑडियोलॉजी की तरफ़ से ह्यूमनिटैरियन अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्होंने दुनिया भर में विभिन्न ऑडियोोलॉजी सम्मेलनों में अपने काम के माध्यम से भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

यह सम्मान और योगदान ही उनके कार्यं की पहचान है।देवांगी की विशेषता अपने पुनर्वास कार्यक्रमों की योजना बनाने के अलावा बच्चों और वयस्कों का आकलन कर उनके सुनने और बोलने की समस्याओं पर कार्य करती हैं।

वह डॉ. जयंत गांधी के साथ जोश फाउंडेशन की सह-संस्थापक हैं जो बोल और न सुन पाने वाले बच्चों को सशक्तिकरण की दिशा में काम करती हैं।  अब तक देवांगी ने 1100 से अधिक श्रवण बाधित बच्चों को डिजिटल श्रवण यंत्रों का दान देकर उन्हें सशक्त बनाया है।  अपनी विशेषज्ञता और अनुभव के साथ, वह अपनी नई पहल- कम्युनिकेशन स्विच के साथ बदलाव लाने का प्रयास भी करती है।

 जोश की पहल के बारे में बात करने पर देवांगी दलाल कहती हैं कि, “हम हमेशा से मानते रहे हैं कि बहरापन विकलांगता की कोई समस्या नहीं है। ऐसे लोगों को खुद को अलग नहीं मानना चाहिए, क्योंकि अभी इसके कई समाधान हैं।  मैं हमेशा से ही दिव्यांगों को सशक्त बनाने में विश्वास करती हूं, और इसीलिए जोश का आदर्श वाक्य भी यही है।  हमारी हालिया पहल उन सभी वंचित बच्चों के लिए है जो इस तरह की समस्या से पीड़ित हैं क्योंकि वे भी एक समान अवसर के लायक हैं। ”

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