मराठी शिक्षकों का गुजराती भाषा में प्रशिक्षण कार्यक्रम

बीएमसी भी आए दिन कुछ न कुछ इस तरह के कार्य करती रहती है कि उसकी फजीहत होती रहती है। अब बीएमसी अपने प्रक्षिशण कार्यक्रम में गुजराती भाषा में वीडियो दिखा कर फिर से फजीहत झेल रही है। बीएमसी की तरफ 'गोवर' और 'रूबेला' जैसी बीमारी को लेकर एक वीडियो सेशन शुरू किया था जिसमें कुछ शिक्षकों के समूह ने हिस्सा लिया था। वीडियो गुजराती भाषा में था जबकि शिक्षक मराठी भाषाई थे। अब इस प्रक्षिशण कार्यक्रम से शिक्षकों ने कितना सीखा होगा यह जानने का विषय है।

क्या था मामला?

सोमवार 24 अक्टूबर के दिन बीएमसी ने कुछ शिक्षकों के लिए 'गोवर' और 'रूबेला' जैसी बीमारी के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया था। इस कार्यक्रम ने इन बीमारियों के लक्षण और बचाव के तरिके जैसी जानकारियां दी जानी थी। इसके लिए बाकायदा एक वीडियो भी बनाया गया था। सब कुछ सही था लेकिन जैसे ही वीडियो चालू हुआ सब भौचक्कें रह गए क्योंकि वीडियो गुजराती भाषा में बनाया गया था। पहले तो यह वीडियो मराठी में होना चाहिए था, अगर यह संभव नहीं हुआ था तो हिंदी में बना देते क्योंकि हिंदी तो सभी को समझ में आती।

इस बारे में एमएनएस नेता संदीप देशपांडे का कहना है कि अगर जिन्हे गुजराती भाषा से इतना ही प्रेम है तो उन्हें गुजरात में ही जाकर बस जाना चाहिए। अगर महाराष्ट्र में रहना मराठी भाषा का प्रयोग करना ही होगा। एमएनएस की तरफ से इस बात की शिकायत बीएमसी में कर दी गयी है।

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