एस्मा के विरोध में उतरी मार्ड

सरकारी डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के खिलाफ राज्य सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कोमहाराष्ट्र अनिवार्य सेवा रखरखाव अधिनियम (एमईएसएमए) को लागू करने का प्रस्ताव भेजा है। हालांकी की इस प्रस्ताव का अब मार्ड ने विरोध भी किया है। मार्ड डॉक्टरों की एक संस्था है जिका पूरा नाम महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर है।

न केवल मार्ड बल्कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने राज्य सरकार के एमईएसएमए को लागू करने के प्रस्ताव का भी विरोध किया है।

मेस्मा क्या है?

  • महाराष्ट्र आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम 2011
  • मेस्मा को आम आदमी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि आवश्यक सेवाएं प्रभावित नहीं होती हैं
  • राज्य सरकार ल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है
  • मेस्मा को स्वास्थ्य सेवाओं, दूध, बिजली, और अन्य आवश्यक सेवाओं को सुचारु रुप से चलाने के लिए बनाया गया है

मार्ड से जुड़े डॉक्टरों में से एक ने कहा कि यदि राज्य मेस्मा को लागू करेगी तो भविष्य में कोई भी डॉक्टर सरकारी नौकरी करने से परहेज करेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे अपनी मांगों को पूरा करने के लिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वो समय नहीं दे रहे है।

मार्ड (केईएम) के अध्यक्ष आलोक सिंह का कहना है की "राज्य सरकार का निर्णय बिल्कुल गलत है। कई बार, डॉक्टरों को सरकारी अस्पतालों में पीटा जाता है। इस बात को सुनने का एकमात्र तरीका हड़ताल है और राज्य ने हड़ताल विरोधी कानून को लागू करने का फैसला किया है जिससे हम खुश नहीं है"।

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