सरकारी अस्पतालों में हड़ताल, मरीजों का हाल बेहाल

सरकारी अस्पताल के नर्स और वॉर्ड बॉय द्वारा घोषित किये गए तीन दिवसीय हड़ताल के कारण कई अस्पतालों में मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि कई ऑपरेशनों को भी कैंसिल कर दिया गया है। आपको बता दें कि अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ये नर्स और वार्ड बॉय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं

मरीजों को हो रही है परेशानी 

मंगलवार से जारी इस हड़ताल में  जे.जे, कामा, सेंट जॉर्ज जैसे बड़े अस्पतालों के नर्स और वॉर्ड बॉय शामिल हैं। इस हड़ताल से मरीजों को कई दिक्ततों का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टर्स भी बिना नर्स और वॉर्ड बॉय के कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस हड़ताल के कारण कई मरीजों का ऑपरेशन भी डॉक्टरों ने टाल दिया।

अस्पताल ने शुरू की वैकल्पिक व्यवस्था 

इस हड़ताल का असर कम हो इसके लिए डॉक्टरों की मदद के लिए अस्पतालों में 200 से भी अधिक मेडिकल के स्टूडेंट्स को बुलाया गया है। साथ ही सफाई के लिए 40 से भी अधिक बाहरी कर्मचारियों को बुलाया गया है। इसके साथ ही तीन दिनों के लिए अस्थायी तौर पर 240 नर्सों को भी अस्पतालों में सेवा के लिए बुलाया गया है।  

क्या हैं इनकी मांगे?

7 वां वेतन आयोग के तहत जो पेंशन योजना शुरू की गयी है उसे रद्द करके पुरानी व्यवस्था वाली पेंशन योजना शुरू की जाए। खाली पड़े तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों को तत्काल भरा जाए। कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 साल निर्धारित की जाए। इसके अलावा महिला कर्मचारियों को 2 साल के लिए मातृत्व अवकाश दिया जाए साथ ही 1 जनवरी 2017 से महंगाई भत्ते में बढ़ोत्तरी की जाये।

जेजे अस्पताल में बड़े पैमाने पर कर्मचारी हड़ताल पर हैं जिससे कई ऑपरेशन रद्द कर दिया गया। मरीजों को दवाई देने वाला कोई नहीं है। इसीलिए इंटर्न डॉक्टरों से काम चलाया जा रहा है. अस्पतालों में केवल अति आवश्यक काम किए जा रहे हैं।

डॉ. सारंग दोनारकर, जे .जे अस्पताल

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