मुंबई शहर के उपकर भरने के नाम पर पूरानी इमारतो के पूर्नविकास करनेवाले बिल्डरो ने सरकार को हजारों करोड़ो का चुना लगाया है। 1992-93 से 432 बिल्डरनो ने 33 (7) के अंतर्गत आनेवाले इमारतों के पुनर्विकास में बढ़े हुए क्षेत्रफल म्हाडा को नहीं दिये। जिसके कारण म्हाडा को भारी चपत लगी।
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टैक्स भरनेवाले पूरानी इमारतो के पुनर्विकास कार्य में अतिरिक्त एफएसआई डीसीआर 33 (7) के तहत म्हाडा को देनी होती है। लेकिन 1992-93 से लकेर 379 इमारतों के पुनर्विकास का फायदा म्हाडा को नहीं मिला। आरटीआई कार्यकर्ता कमलाकर शेनॉय ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है।
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गृहनिर्माण राज्यमंत्री रविंद्र वायकर ने बताया की इस संबंध में 26 लोगों मामला दर्ज किया गया है। तो वही 432 बिल्डरो की ओर से म्हाडा को अतिरिक्त एफएसआई मिलना बाकी है। जांच के बादसंबंधित बिल्डर पर कार्रवाई की जाएगी।
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