महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार, 18 जून को बॉम्बे हाई कोर्ट को सूचित किया कि मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास सात इमारतों के कुछ हिस्सों को ध्वस्त कर दिया गया है, जिन्होंने ऊंचाई के नियमों का उल्लंघन किया था। राज्य ने कहा कि मुंबई उपनगरीय कलेक्टर कार्यालय ने अदालत के निर्देशों का पालन किया है। राज्य के जवाब के अनुसार, कलेक्टर अब बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) और मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) के साथ मिलकर ज़रूरत पड़ने पर आगे की कार्रवाई करेंगे।
एडवोकेट यशवंत शेनॉयने दायर की थी जनहित याचिका
यह मामला अधिवक्ता यशवंत शेनॉय द्वारा 2019 में दायर एक जनहित याचिका (PIL) से जुड़ा है। जनहित याचिका में हवाई अड्डे के पास की संरचनाओं के बारे में सुरक्षा संबंधी चिंताएँ उठाई गई थीं, जो विमान के उड़ान भरने और उतरने को प्रभावित कर सकती हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप वी. मार्ने की अगुवाई वाली पीठ कर रही है।
जुलाई 2022 में, उच्च न्यायालय ने उपनगरीय कलेक्टर को हवाई अड्डे के पास की 48 संरचनाओं के खिलाफ़ कार्रवाई करने का आदेश दिया था, जिन्होंने ऊंचाई प्रतिबंधों का उल्लंघन किया था। इनमें विमान के दृष्टिकोण पथ में प्रवेश करने वाली अवैध संरचनाएँ भी शामिल थीं।
कलेक्टर ने दिए आदेश
इस साल 26 मार्च और 6 मई को कोर्ट ने कलेक्टर को सात इमारतों के खास हिस्सों को गिराने का निर्देश दिया था। इनमें कुर्ला में फैज सीएचएसएल, ऑलविन अपार्टमेंट सीएचएसएल, फजल हाउस सीएचएसएल और फरजान अपार्टमेंट सीएचएस की इमारतें शामिल थीं। इसमें रिजवी नगर को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में विंग सी और ई और सांताक्रूज (पश्चिम) में धीरज हेरिटेज परिसर में एक और खंड भी शामिल था।
कलेक्टर कार्यालय द्वारा दायर एक अनुपालन हलफनामे में कहा गया है कि मालिकों ने अतिरिक्त संरचनाओं को हटा दिया है। इनमें पानी की टंकियां, एंटेना और लोहे की पाइपें शामिल थीं। हलफनामे में कहा गया है कि मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एमआईएएल) ने बाद में साइटों का निरीक्षण किया और हटाने की पुष्टि की। कोर्ट ने बीएमसी को, नियोजन प्राधिकरण के रूप में, अवैध संरचनाओं को हटाने के लिए महाराष्ट्र क्षेत्रीय नगर नियोजन (एमआरटीपी) अधिनियम के तहत नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया।
अगली सुनवाई एक नई पीठ के सामने
पीठ ने इसे स्वीकार कर लिया और अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की। न्यायमूर्ति संदीप वी. मार्ने ने मामले से खुद को अलग कर लिया है, इसलिए अगली सुनवाई एक नई पीठ के समक्ष होगी।
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