कई खतरनाक गेंदबाजों की धुलाई करने वाले सचिन, नेताओ के बाउंसर के सामने नजर आए बेबस

  • संतोष तिवारी & मुंबई लाइव टीम
  • राजनीति

भारत रत्न और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट जीवन काल में अनेक बाउंसर, गूगली, दूसरा, स्विंग, यार्कर जैसी अनेक तरह की गेंदों  का सामना किया और हर तरह की गेंद को उतनी ही अच्छी तरह से बाउंड्री के बाहर भी पहुंचाया। लेकिन गुरुवार की यह महान क्रिकेटर राज्यसभा में नेताओं के बाउंसर के सामने पूरी तरह से बेबस नजर आया। नेताओ के द्वारा किए जा रहे हंगामा के चलते सचिन अपनी बात नहीं रख सकें। शायद सचिन को इस बात का अंदाजा भलीभांति हो गया होगा कि क्रिकेट के मैदान में खतरनाक गेंदों का सामना करने से कहीं अधिक परेशानी संसद में बोलना होता है। 

आपको बता दें कि गुरुवार को संसद सत्र का पांचवा दिन था, 2G मामले और गुजरात चुनाव को लेकर सियासी दलों की गर्मी वातावरण में सहज महसूस की जा रही थी। जैसे की सब आशंका जता रहे थे वही हुआ, संसद के दोनों सदन हंगामे की भेंट चढ़ गए।

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क्या हुआ राज्यसभा में?

इस दौरान ध्यान देने वाली बात यह रही कि सांसद सचिन तेंदुलकर राज्यसभा में पहली बार 'राइट टू प्ले' के मुद्दे पर भाषण देने वाले थे, इसके लिए उन्हें दोपहर 2 बजे का समय मिला था। लेकिन उनका भाषण 2G घोटाले के हंगामे की भेंट चढ़ गया। सचिन जैसे ही बोलने के लिए खड़े हुए, कांग्रेसी सांसद हंगामा मचाते हुए वेल तक जा पहुंचे और पीएम से माफी की मांग करने लगे। उप सभापति वेंकैया नायडू द्वारा बार-बार निवेदन करने के बाद भी सांसद शांत नहीं हुए। सचिन तेंदुलकर अपनी सीट पर खड़े होकर यह नजारा देख रहे थे और सांसदों के शांत होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उनका यह इंतजार खत्म नहीं हुआ। सांसदों ने हंगामा और तेज कर दिया तो उप सभापति ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी।

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भड़कीं जया बच्चन 

सचिन तेंदुलकर को अपनी बात रखने के लिए मौका न मिलने पर राज्यसभा सांसद जया बच्चन भड़क गयीं, उन्होंने कहा कि सचिन ने पूरी दुनिया में भारत का नाम ऊंचा किया है ऐसे में उन्हें संसद में न बोलने दिया जाना शर्मनाक है क्या अब संसद में सिर्फ राजनेताओं को ही बोलने का मौका दिया जाएगा।

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किस मुद्दे पर बोन वाले थे सचिन 

सचिन अपने भाषण में 'राइट टू प्ले' के तहत देश में खेल और खिलाड़ियों को लेकर बनी व्यवस्था, ओलंपिक की तैयारियों और खिलाडियों के प्रदर्शन पर अपनी बात रखने वाले थे। सचिन के इस भाषण में रिटायरमेंट के बाद खिलाड़ियों की स्थिति और स्कूली शिक्षा में खेल को एक सिलेबस के तौर पर पेश करने जैसे अहम मुद्दे भी शामिल थे।

 

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