मुंबई अध्यक्ष के रूप में आसान नहीं होगी भाई जगताप की राह

किसी भी टीम की जीत-हार कप्तान के कुशल नियोजन पर टिकी होती है, लेकिन जब किसी टीम का कप्तान ही कमजोर हो तो उसकी जीत होना मुश्किल होता है। कुछ ऐसी ही स्थिति का सामना कर रही मुंबई कांग्रेस (mumbai congress) को नया कप्तान मिल गया है। भाई जगताप (bhai jagtap) के रूप में मुंबई कांग्रेस को मिला यह कप्तान मुंबई कांग्रेस को नई ऊंचाई प्रदान करेगा, यह उम्मीद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने जतायी है। नए कप्तान से यह उम्मीद तो की ही जा सकती है कि वह कांग्रेस (congress) को वर्तमान समय की तुलना में अच्छे दिन दिखाने में जरूर कामयाब होंगे। कांग्रेस ने लंबा समय अस्तित्वहीन जैसा व्यतीत किया है, अब उसमें भाई जगताप ने नई जान भरने का संकल्प लिया है। उनका यह संकल्प पूरा हो इसी उम्मीद के साथ मुंबई कांग्रेस के सभी पदाधिकारी कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए पूरी तत्परता से लग जाएंगे। कांग्रेस के लिए नया साल 2021 सफलता प्रदान करने वाला हो, आज हर कांग्रेसी के मन में यही कौतुहल होगा।       

भाई जगताप अपने महाविद्यालयीन जीवन से कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे हैं। कांग्रेस के एनएसयूआई (nsui) नामक विद्यार्थी संगठन में काम करते हुए भाई जगताप ने पहले युवक कांग्रेस और उसके बाद कांग्रेस पार्टी में अपनी सक्रियता बढ़ायी। भाई जगताप के काम की पहचान उस वक्त सामने आई जब वे 'भारतीय कामगार कर्मचारी महासंघ' नामक मजजूर संगठन से जुड़े। इस संगठन के माध्यम से 90 के दशक में मुंबई के अनेक इंजिनियरिंग कारखानों में भाई जगताप ने युनियन का गठन किया। भाई जगताप के साथ मजदूर संगठित रूप से खड़े रहे, इस कारण भाई जगताप का कांग्रेस में वजन बढ़ता चला गया, उन्होंने 1999 में कोकण में दापोली-मंडणगड निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इस हार को भाई जगताप ने आगे की जंग जीतने के लिए कड़ी मेहनत का संकेत माना और 2004 में हुए विधानसभा चुनाव में मुंबई (mumbai) के खेतवाड़ी निर्वाचन क्षेत्र से विजय दर्ज की। खेतवाडी निर्वाचन क्षेत्र से जिस कांग्रेस पार्टी को कभी विजयश्री प्राप्त नहीं हुई, उस क्षेत्र से जीत दर्ज कर भाई जगताप ने यह संकेत दे दिया था कि वे लंबी रेस वाले नेता हैं। भाई जगताप वर्तमान में मुंबई महानगरपालिका (BMC) से विधान परिषद सदस्य हैं।

2022 में होने वाले मुंबई मनपा चुनाव में शिवसेना-भाजपा एक दूसरे के खिलाफ उतरेंगे, ऐसे में होने वाले हिंदुत्ववादी मत विभाजन तथा मराठी माणुस की अस्मिता को ध्यान में रखते हुए भाई जगताप को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। भाई जगताप स्वयं को दी गई जिम्मेदारी का निर्वहन कैसे करेंगे यह तो आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा ही लेकिन इतना तो तय है कि भाई जगताप को मुंबई कांग्रेस की कमान सौंपे जाने से मुंबई कांग्रेस के नेताओं का मनोबल बहुत ज्यादा बढ़ा है। मुंबई कांग्रेस को अगर मुंबई मनपा के चुनाव में अच्छी सफलता प्राप्त करनी है तो भाई जगताप को सबसे पहले पार्टी के अंदर की गुटबाजी दूर करनी होगी। सबका साथ, सबका विकास तथा सबका विश्वास इस तीन सूत्रीय कार्यक्रम को मुंबई कांग्रेस को अमल में लाना होगा। मुंबई कांग्रेस को मिले नए कप्तान भाई जगताप को यह बताने की जरूरत नहीं है कि जनहितों के जुड़े मुद्दे क्या हैं, उन्हें मजदूरों, गरीब तबके के लोगों की समस्याओं का भी अच्छा ज्ञान है, ऐसे में भाई जगताप जनहितों के मुद्दों पर रास्ते पर उतरने का एक भी मौका नही छोड़ेंगे, अगर ऐसा कहा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं होता। 

मजदूरों की समस्याओं की पृष्ठभूमि वाले भाई जगताप उदासीन तथा निराश कांग्रेसजनों को नई ताकत के साथ खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे, लेकिन भाई जगताप को हर पल इस ओर भी ध्यान देना होगा कि मुंबई कांग्रेस में फिर कोई कलह, मतभेद तथा गुटबाजी नहीं होगी, अगर भाई जगताप इस कार्य में सफल हो गए तो कांग्रेस की ताकत एक बार फिर सामने आएगी। कांग्रेस पहले के मुकाबले कितनी मजबीत हुई है, उसकी पहली छवि मुंबई मनपा चुनाव परिणाम के बाद सामने आएगी, अगर मुंबई मनपा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले चुनाव से अच्छा हुआ और वह राकांपा (ncp) से आगे निकल गई तो इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि कांग्रेस का जनाधार मुंबई में पहले की तुलना में बढ़ा है। भाई जगताप की भी दिली इच्छा यही होगी कि कांग्रेस को मुंबई मनपा के विगत चुनाव से ज्यादा सीटें मिली, ताकि दिल्ली दरबार में यह संदेश जाए कि मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर भाई जगताप की नियुक्ति करके दिल्ली के शीर्ष ने बहुत अच्छा काम किया था।       

मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काफी विचार मंथन के बाद अशोक अर्जुनराव जगताप (ashok arjunrav jagtap) उर्फ भाई जगताप की ताजपोशी की गई है। मुंबई में कांग्रेस को मजबूत करने के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी कांग्रेस की ताकत बढ़ाने के लक्ष्य को सामने रखकर मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद के साथ-साथ मुंबई कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पद का भी निर्माण किया गया है। इस पद पर चरणजीत सिंह साप्रा (charan singh sapra) की नियुक्ति की गई है। मुंबई अध्यक्ष पद के लिए भाई जगताप के अलावा अमरजीत सिंह मनहास (amarjeet singh manhas), नसीम खान (naseem khan) तथा सुरेश शेट्टी (suresh shetty) के नामों की भी चर्चा थी, लेकिन दिल्ली दरबार से भाई जगताप के नाम पर मुहर लगने के कारण भाई जगताप को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद पर विराजित करने का निर्णय लिया गया। मोहम्मद नसीम खान को प्रचार समिति के अध्यक्ष पद की कुर्सी पर विराजित किया गया है, जबकि समन्वय समिति के अध्यक्ष पद पर अमरजीत सिंह मनहास की नियुक्ति की गई है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेश शेट्टी को प्रचार एवं प्रसिद्धि समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।  

मुंबई कांग्रेस प्रभारी पद पर प्रदेश कांग्रेस के चंद्रकांत हांडोरे को नियुक्त किया गया है। मुंबई महानगरपालिका के चुनाव को ध्यान में रखते इस बार मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर किसी मराठी नेता का चेहरा सामने लाने की तैयार मुंबई कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने की थी, उसी के आधार पर भाई जगताप के नाम पर मुहर लगी। भाई जगताप मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्षों से अलग क्या कुछ करेंगे, यह तो आने वाले समय में स्पष्ट हो ही जाएगा। डेढ़ वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद मुंबई कांग्रेस को नया कप्तान मिल ही गया, यह कप्तान मुंबई कांग्रेस के पिछले दो कप्तानों की तुलना में बहुत अलग तो है ही, साथ ही यह मराठी माणुस भी है। शालीनता तथा सक्रीयता दोनों मामले में दोनों पूर्व कप्तानों की बराबरी में खड़े भाई जगताप को मुंबई मनपा चुनाव के मद्देनज़र मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। 

भाई जगताप मराठा समाज से आते हैं, इस फैक्टर को ध्यान में रखते हुए भाई जगताप को मुंबई कांग्रेस जैसे महत्वपर्ण पद पर विराजित किया गया है। मुंबई कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर चरणजीत सिंह साप्रा की नियुक्ति करके यह संकेत दे दिए हैं कि कांग्रेस हाईकमान का मुंबई कांग्रेस की स्थिति की ओर अच्छा खासा ध्यान है। सप्रा जनाधार वाले नेता होने के साथ-साथ मुदुभाषी भी हैं। सिख समुदाय से जुड़े होने से साथ ही सप्रा के अन्य प्रांतों के लोगों से भी बड़े अच्छे संबंध हैं। पूर्व मंत्री नसीम खान को प्रचार समिति का जिम्मा देकर कांग्रेस आलाकमान ने यह भी संकेत दिया है कि उनका मुस्लिम समाज की ओर भी ध्यान है। 

नसीम खान के माध्यम से मुस्लिम समाज के वोटों पर भी कांग्रेस का कितना ध्यान है, इसका पता चलता है।

 भाई जगताप के माध्यम से मराठी, चप्रा के माध्यम से सिख तथा अन्य प्रांत और नसीम खान के जरिए मुस्लिम समाज यानि सभी समाज की ओर ध्यान। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कई वर्तमान तथा पूर्व मंत्रियों के नाम भी दिल्ली भेजे गए थे। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिव ए. के. पाटिल के पास मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 12 नाम आए थे, इसलिए मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद पर कौन विराजित होगा, इसे लेकर जोरदार चर्चाएं जारी थी। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मुंबई के साथ-साथ कोकण में भारी पराजय का सामना करना पड़ा था। चुनाव में मिली पराजय के बाद मिलिंद देवरा ने मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

 मिलिंद देवरा (milind deora) के मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के पूर्व सांसद एकनाथ गायकवाड (eknath gayakavad) को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया, लेकिन एकनाथ गायकवाड के नेतृत्व पर पार्टी के अंदर नाराजगी का स्वर बढ़ने लगा। इस बात की जानकारी जब दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को मिली तो मुंबई कांग्रेस के लिए नए अध्यक्ष की तलाश शुरु हुई और मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए तीन नाम सामने आए, जिनमें से एक भाई जगताप के नाम पर पार्टी आलाकमान ने अपनी स्वीकृति दे दी। कांग्रेस ने नई रणनीति अपनाते हुए मराठी-सिख-मुस्लिम इन तीन प्रवर्गों से एक-एक चेहरे को महत्वपूर्ण पद देकर अपनी स्थिति को मजबूत करके सत्ता के करीब पहुंचने की तरकीब खोजी है, अब देखना यह है कि कांग्रेस अपनी इस तरकीब के बूते पर आने वाले चुनावों में अपने पूर्व प्रदर्शन में कितना सुधार कर पाती है। 

(Note : इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)

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