2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने हर साल 2 करोड़ नौकरी देने का एलान किया था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद भाजपा नका ये वादा भी एक जुमला ही साबित हुआ। क्योंकि अधिसूचित की गई रिक्तपदों पर भारती नहीं की गई ऐसी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख ने कौशल विकास, रोजगार और जनसंपर्क निदेशालय से आईटीआई के जरिये ये जानकारी दी है ।
आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख ने महाराष्ट्र सरकार से जानकारी मांगी थी कि 2013 से उत्तर देने तक किस विभाग में, राज्य में कितना रोजगार पैदा हुआ है, राज्य में कितनी बेरोजगारी बढ़ी है और सरकार द्वारा राज्य में रोजगार बढ़ाने के सरकार क्या कदम उठा रही है।
इस सन्दर्भ में कौशल विकास, रोजगार और जनसंपर्क निदेशालय के सूचना अधिकारी और उप निदेशक श्री र.ल. कोल्हर ने शकील अहमद शेख को जानकारी उपलब्ध कराई है।
जानकारी के अनुसार, राज्य में जनवरी 2013 से मार्च 2019 तक 34,23,243 अधिसूचित रिक्तपदों में से सिर्फ 9 लाख 37 हजार 765 पदों पर ही नियुक्ति की गई। जबकि, 35 लाख 23 हजार 272 बेरोजगार अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया है।
राज्य में रोजगार को बढ़ाने के लिए, सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय रोजगार मेला, रोजगार प्रोत्साहन कार्यक्रम, आदिवासी उम्मीदवारों को प्रशिक्षित करने और विभिन्न रियायतें देकर बेरोजगारी सेवा सहकारी समितियों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने जैसे उपाय शुरू किए हैं।
वर्षनुसार अधिसूचित रिक्त पदों की संख्या और पदों पर भर्ती की संख्या
2013 से 2019 मार्च तक 35 लाख 23 हजार 272 लोगों ने बेरोजगारों की लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराया है। यानी बीजेपी सरकार ने बेरोजगार युवाओं को नौकरी तो देती नहीं है उल्टा रिक्त पड़े पदों तक को भरती नहीं है जबकि 2013 में आघाडी सरकार ने 1,18,938 अधिसूचित रिक्त पदों में से 114658 पदों पर भर्ती की जो कि लगभग 96 प्रतिशत है।
किस साल बेरोजगारों की संख्या दर्ज
आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख का कहना है कि अगर बीजेपी सरकार स्वयरोजगार को रोजगार मानती है तो पकोड़े बेचने, पंचर बनाने जैसे रोजगार भाजपा कार्यकर्ताओं को ही दिया जाए, देश का शिक्षित बेरोजगार युवा ने इस तरह के काम करने के लिए डिग्रीयां नहीं ली है।