एक 'बंगला' न्यारा

मुंबई - दो बार राज्यमंत्री, चार टर्म्स जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि मतलब विधानसभा में विधायक, सात वर्ष विधानपरिषद सदस्य और वर्तमान में विधान परिषद में उपसभापति माणिकराव ठाकरे की पहचान महाराष्ट्र की राजनीति में कोई नहीं है। विधान परिषद का उप सभापति बनने के बाद भी अभी उनके लिए उपसभापति के लिए आवंटित होने वाला बंगला आवंटित नहीं किया गया है। माणिकराव ठाकरे को नरीमन प्वाइंट परिसर में ‘सुनिती’ इमारत में चार कमरों का फ्लैट दिया गया है। उप सभापति पद पर आसीन व्यक्ति को बंगला देने के मामले में ‘पारदर्शक’ राजनीति करने की बात कहने वाली सत्ताधारी भाजपा अपने दावे से पलट गई है, ऐसा आरोप माणिकराव ठाकरे के समर्थकों का है। उप सभापति पद पर लंबे समय तक आसीन रहे वसंत डावखरे पहले आवंटित सी-3 बंगला विद्यमान उप सभापति माणिकराव ठाकरे को देने के बदले सामान्य प्रशासन विभाग के राज्यमंत्री मदन येरावार को दे दिया गया।
माणिकराव ठाकरे और मदन येरावार की यवतमाल राजनीति में स्थानीय स्तर पर शुरू से वैमनस्य रहा है। ऐसी परिस्थिति में विधान परिषद के उप सभापति को मिलने वाले बंगले को अपने राजकीय प्रतिस्पर्धी को देने से माणिकराव को दुख होने को नकारा नहीं जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बारे में खुद माणिकराव ठाकरे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन उसका सीएम पर कोई असर नहीं हुआ। विशेष तौर पर सी-3 बंगला को लेकर तीन महीने की अवधि बढ़ाने की मांग वसंत डावखरे ने की थी, लेकिन उससे पहले ही येरावार को बंगला आवंटित कर दिया गया और वे उसमें रहने भी आ गए।
वहीं इस बात का राज्यमंत्री मदन येरावार ने खंडन किया है। उन्होंने मुंबई लाइव से कहा कि “माणिकराव ठाकरे के विधान परिषद के उप सभापति बनने से पहले मैं राज्यमंत्री बना। शुरूआत में मेरे लिए मलबार हिल परिसर में फ्लैट वितरित किया गया था, लेकिन मैंने उस फ्लैट में रहने के बजाय ‘विधायक निवास’ के खोली क्रमांक 112 में रहने को प्रधानता दी। मुझे सी-3 यह बंगला आवंटित होने के बाद वसंत डावखरे ने तीन महीने की सीमा बढ़ाने की विनती की थी। तकनीकी रुप से वहां पर सही होने के बाद ही मैने पूजा कर रहने आया। बंगले में रहने का नैतिक अधिकार माणिकराव ठाकरे का है इसका कोई अर्थ नहीं है। माणिकराव ठाकरे का मुंबई में घर है। मेरे जैसे मुंबई के बाहर से लोगों द्वारा चुनकर आए मंत्रीपद मिले व्यक्ति को मुंबई के बाहर बंगले में रहने का अधिकार कैसे नहीं?” ऐसा कटाक्ष पूर्ण प्रश्न उन्होंने पूछा।
कुल मिलाकर कहें तो माणिकराव ठाकरे का बंगले का इंजतार खत्म होता नहीं दिखता। खासकर बंगले को लेकर जिस तरह से फडणवीस के मंत्रियों ने फिल्डिंग लगा रखी है उससे तो यह इंतजार कब खत्म होगा किसी को पता नहीं।

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