सत्ता पक्ष पर नजर रखने के लिए MNS बनाएगी 'शैडो कैबिनेट'

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने गुरूवार को शिव सेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की जयंती के मौके पर गोरेगांव के नेस्को ग्राउंड (goregaon nesco) में राज्यव्यापी अधिवेशन शुरू किया। इस महाअधिवेशन में राज ठाकरे (raj thackeray) के बेटे अमित ठाकरे (amit thackeray) को लॉन्च किया गया साथ ही मनसे ने अपना भगवा झंडा  (saffron flag) भी लॉन्च किया। यही नहीं इस महाअधिवेशन में मनसे ने एक 'शैडो कैबिनेट' (Shadow cabinet) बनाने का भी निर्णय लिया जो सरकार के हर विभाग में होने वाले कामकाज पर नजर रखेगी। आइये जानते हैं कि आखिर क्या होता है शैडो कैबिनेट? 

पश्चिमी देशों में है प्रचलित

'शैडो कैबिनेट' की अवधारणा पश्चिमी देशों में काफी प्रचलित है, खासकर ब्रिटेन में। सत्ता पक्ष के कामों पर नजर रखने के लिए ही विपक्षी दल द्वारा शैडो कैबिनेट की स्थापना की जाती है। उदाहरण के लिए जिस तरह से सत्ता पक्ष के हर नेता को गृह, लोकनिर्माण, वित्त, शिक्षा जैसे विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो ठीक उसी तरह विपक्ष की कोई भी पार्टी अपने नेताओं को भी प्रतीकात्मक रूप से विभिन्न मंत्रालय सौंप देता हैं, जिनका काम सत्ता पक्ष के कार्यों की निगरानी करना होता है यही नहीं सत्ता पक्ष द्वारा लिए जाने वाले जार निर्णय और फैसले की समीक्षा भी 'शैडो कैबिनेट' करता है 

2005 में हो चुका है प्रयोग

यह पहली बार नहीं है कि जब  विपक्ष 'शैडो कैबिनेट' के गठन की बात कर रहा हो, इसके पहले पहले महाराष्ट्र में ही साल 2005 में जब कांग्रेस और एनसीपी की आघाड़ी सरकार थी तो शिव सेना और बीजेपी ने मिल कर 'शैडो कैबिनेट' बनाया था

महाराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश, केरल और गोवा जैसे राज्यों में भी 'शैडो कैबिनेट' का प्रयोग हो चुका है. अब मनसे अपने 'शैडो कैबिनेट' में किस-किस नेता को जगह देता है यह देखने वाली बात है 

शिव सेना ने कसा तंज

'शैडो कैबिनेट' की बात पर कांग्रेस के अशोक चव्हाण ने कहा कि, पारदर्शी शासन के लिए 'शैडो कैबिनेट' का गठन अगर मनसे करती है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है, जबकि शिव सेना ने तंज कसते हुए कहा कि, इस 'शैडो कैबिनेट' का मुख्यमंत्री कौन होगा? उन्होंने आगे कहा, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास आघाड़ी सही काम कर रही है 'शैडो कैबिनेट' के गठन की कोई  जरुरत नहीं है

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