मराठा आरक्षण: नारायण राणे ने आंदोलनकारियों और सरकार के बीच मध्यस्था का रखा प्रस्ताव

  • संतोष तिवारी & मंगल हनवते
  • राजनीति

मराठा आरक्षण को लेकर अब नेताओं की तरफ से भी बयानबाजी शुरू हो गयी है। एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे के बाद सांसद और महाराष्ट्र स्वाभिमानी पार्टी के अध्यक्ष नारायण राणे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आंदोलनकारियों को हिंसा नहीं करनी चाहिए और सरकार को तत्काल आरक्षण का प्रावधान करना चाहिए। उन्होंने आंदोलनकारियों से मध्यस्था करने की भी पेशकश की।  

 

'तो करूंगा मध्यस्था'

कांग्रेस से बगावत कर अपनी अलग पार्टी बनाने वाले नारायण राणे ने आंदोलन को गलत बताते हुए कहा कि राज्य भर में हो हिंसक आंदोलन हुआ वह ठीक नहीं था। आंदोलनकारियों से कोई संवाद नहीं हुआ इसीलिए यह आंदोलन शुरू हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि वे सरकार और आंदोलनकरियों के बीच मध्यस्था कर मामले को निपटारे की कोशिश करेंगे।

'प्रारूप पर अफवाह'

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी पार्टी ने मराठा को 16 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया था जिसके अध्यक्ष बने तत्कालीन कांग्रेस के वरष्ठि नेता नारायण राणे। राणे ने एक प्रारूप बनाया था, मामला कोर्ट में जाने के बाद कोर्ट ने प्रारूप में की कमी बताते हुए आरक्षण को रिजेक्ट कर दिया। राणे ने इस मुद्दे पर भी कहा कि वह प्रारूप सभी के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक आधार पर अध्ययन करके बनाया गया था। उस प्रारूप को लेकर जो कुछ भी चर्चा फ़ैल रही है वह गलत है।

'सीएम बदलने की बात गलत'

शिवसेना सांसद संजय राउत द्वारा मुख्यमंत्री बदलने के प्रश्न पर नारायण राणे ने खंडन किया उन्होंने कहा कि संजय राउत को इस तरह ऐसा बोलने का कोई अधिकार नहीं है।

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