एनसीपी और एमएनएस के भाईचारे पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति

राजनीती जो न करवाएं कम है...कहते हैं राजनीति में कोई न तो दोस्त है और न ही दुश्मन। अगले साल होने वाले चुनाव को लेकर मोदी की विजय रथ को रोकने के लिए विपक्ष ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। रणनीति तय करने के लिए कांग्रेस और एनसीपी की बैठक भी हुई। जहां एक मुद्दे को लेकर कांग्रेस और एनसीपी में ठन गयी है। एनसीपी चाहती है कि मोदी के विरोध में सभी विपक्षी दल एकजुट हो जाएं और इसके लिए महागठबंधन में एमएनएस को भी शामिल किया जाए, लेकिन कांग्रेस एमएनएस के नाम पर ही बिदक जा रही है। कांग्रेस का मानना है कि एमएनएस को शामिल करने से उसके हिंदी भाषी वोट कर जाएंगे।

राज ठाकरे और शरद पवार के बीच बढ़ी नजदीकियां 

पिछले कुछ समय से अगर राजनीति के परिदृश्य को देखा जाएं तो एमएनएस चीफ राज ठाकरे और एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं। कई मौको पर राज ठाकरे ने शरद पवार की प्रशंसा की है। यही नहीं करीब 4-5 महीने पहले पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में राज ठाकरे ने शरद पवार का इंटरव्यूह भी लिया था, जिसमें दोनों काफी सहज नजर आये थे।

एनसीपी बढ़ाना चाहती है भाईचारा 

अब एनसीपी चाहती है कि बीजेपी के खिलाफ जितनी भी समान विचारधारा वाली पार्टियां हैं सभी एक मंच पर आएं और डटकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव की तैयारी करें। चुनाव और महागठबंधन को लेकर साथ ही सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा करने के लिए विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता राधाकृष्ण विखे पाटील के निवास स्थान पर एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच एक बैठक हुई। हालांकि इस बैठक में सीटों के बंटवारे को लेकर तो चर्चा नहीं हुई लेकिन एनसीपी प्रवक्ता और नेता नवाब मलिक ने इस महागठबंधन में एमएनएस को भी शामिल करने पर विचार करने की मांग की।मलिक की इस मांग पर मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम सहित अन्य हिंदी भाषी नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई।

हिंदी भाषी नेता राज के खिलाफ 

सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में निरुपम ने कहा कि अगर महागठबंधन में राज ठाकरे साथ आएंगे तो इससे कांग्रेस को अपने परंपरागत हिंदी भाषियों वोटर्स से हाथ धोना पड़ सकता है। साथ ही निरुपम ने यह भी आशा जताई कि जो हिंदी भाषी बीजेपी से नाराज चल रहे हैं वे कांग्रेस में आ सकते हैं, लेकिन राज ठाकरे के साथ होने से वे भी कांग्रेस का साथ छोड़ देंगे। हालांकि अभी तक इस महागठबंधन में शामिल होने को लेकर राज ठाकरे की तरफ से कोई भी जवाब नहीं दिया गया है।

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