सिर्फ उर्मिला ही नहीं , पहले भी कई अभिनेताओं को रास नहीं आई राजनीति!

लोकसभा चुनाव के ठिक पहले कांग्रेस में शामिल होनेवाली अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर ने कांग्रेस को राम राम कह दिया है।  लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद उर्मिला ने बयान दिया था की वो पार्टी के साथ लगातार काम करनेवाली है लिहाजा उन्हे जीत या हार से कोई फर्क नहीं पड़ता है।  हालांकी लोकसभा में मिली हार के बार ही उन्होने उत्तर मुंबई के कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं पर चुनाव के दौरान उनका साथ ना देने का भी आरोप लगाया था। उर्मिला के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद उनके शिवसेना में भी जाने की खबरें आने लगी , हालांकी उर्मिला ने एक बयान जारी इसका सिरे से खंडन कर दिया और कहा की वह आगे कोई भी पार्टी में प्रवेश नहीं कर रही है।  

उर्मिला मातोंडकर ऐसी पहली फिल्म कलाकार नहीं है  जिन्हे राजनीति रास नहीं आई है , इसके पहले भी ऐसे कई कलाकार है जिन्होने राजनीति में पैर तो रखा लेकिन राजनीति में टिक नहीं पाए

अमिताभ बच्चन- अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी की दोस्ती जगजाहिर है। इन दोनों के बीच दोस्ती इतनी प्रगाढ़ थी कि कभी-कभी राजीव गांधी अमिताभ से मिलने फिल्म शूटिंग प्वाइंट पर भी पहुंच जाते थे। कहते हैं राजीव गांधी ने ही अमिताभ को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया था। आप को बता दें कि साल 1984 में अमिताभ बच्चन बतौर कांग्रेस उम्मीदवार इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे और भारी मतों से अपने प्रतिदंवदी को हराया। लेकिन बच्चन का राजनीतिक करियर बहुत छोटा रहा। मात्र 3 साल बाद ही अमिताभ बच्चन ने सांसद पदसे इस्तीफा ही नहीं दिया बल्कि हमेशा-हमेशा के लिए राजनीति से संन्यास ले लिया। 

गोविंदा- फिल्म अभिनेता गोविंदा ने भी राजनीति में हाथ आजमाया। गोविंदा ने बीजेपी के कद्दावर नेता राम नाइक के सामने उत्तर मुंबई से कांग्रेस की टिकट पर साल 2004 में लोकसभा चुानव लड़ा था , वह जीते भी थे लेकिन वह लंब समय तक राजनीति नहीं कर सके।  वर्ष 2004 में कांग्रेस के टिकट पर गोविंदा ने मुंबई से लोकसभा चुनाव जीता. चुनावी प्रचार के दौरान गोविंदा ने मुंबई के लोगों के लिए प्रवास, स्वास्थ्य और ज्ञान को अपने एजेंडे का मुख्य हिस्सा बताया। हालांकी लोकसभा सदस्य बनने के बाद उन्होने अपने इलाके में राजनेता के रुप में कोई खास पहचान नहीं बना पाई। साल 2008 के बाद उन्होने अपना पूरा ध्यान फिल्मों पर लगा दिया और 2009 के लोकसभा चुनाव में वह नहीं खड़े हुए।  

राजेश खन्ना- बॉलीवुड के सबसे पहले सुपरस्टार  राजेश खन्ना ने भी राजनीति में किस्मत अजमाई, लेकिन राजेश खन्ना पॉलिटिक्स में फ्लॉप हो गए। कांग्रेस ने 1991 में उन्हें नई दिल्ली से बीजेपी के फायर ब्रांड नेता लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ चुनाव लड़ाया, लेकिन वो हार गए। 1992 के उपचुनाव में इसी सीट से राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा को चुनाव हराया था। 1996 तक राजेश खन्ना राजनीति में रहें, लेकिन उसके बाद उन्होंने सन्यास ले लिया।

धर्मेंद्र - साल 2004 में बीकानेर से सांसद रहे अभिनेता धर्मेंद्र के संसदीय कार्यकाल को भी कुछ खास नहीं माना जाता है।  भारतीय जनता पार्टी के कैंपेन और अपनी और हेमा मालिनी की स्टार पॉवर के दम पर वो सांसद बन तो गए लेकिन इस दौरान उनका मन राजनीति में लगा नहीं । धर्मेंद्र ने अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद राजनीति से तौबा कर ली। 

शेखर सुमन – अपने अभिनय औक कॉमेटी से लोगों को अपना कायल बनानेवाले शेखर सुमन ने भी राजनीति में हाथ आजमाया था।  शेखर फिल्म और टीवी दोनों में काफी एक्टिव रहे हैं। फिल्मों के बाद इन्होंने साल 2009 में बिहार लोकसभा चुनाव लड़ा था जिसमें इन्हें शत्रुघ्न सिन्हा ने भारी मतों से हरा दिया था। बाद में इन्होने पार्टी छोड़ दी। 

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