अटल बिहारी वाजपेयी की वो कविताएं जिसने हर किसी को उनका कायल बनाया।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को राजनीति के साथ साथ कविताये लिखने का भी शौक है। अटल जी ने कई बार अपनी रैलियों में भी कविताओं का सहारा लिया। संसद में अटल जी द्वारा बोले जानेवाली कविताओं ने तो सभी सांसदों को उनका दीवाना बना दिया है।

आइये आप के सामने रखते है अटल जी की अलग अलग कविताओं की कुछ पंक्तियो को जिन्हें आप और हम अपने रोज के जीवन से जोड़ कर देख सकते है।

1)जो कल थे,

वे आज नहीं हैं।

जो आज हैं,

वे कल नहीं होंगे।

होने, न होने का क्रम,

इसी तरह चलता रहेगा,

हम हैं, हम रहेंगे,

यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा।

2)पेड़ के ऊपर चढ़ा आदमी

ऊंचा दिखाई देता है।

जड़ में खड़ा आदमी

नीचा दिखाई देता है।

आदमी न ऊंचा होता है, न नीचा होता है,

न बड़ा होता है, न छोटा होता है।

आदमी सिर्फ आदमी होता है।

पता नहीं, इस सीधे-सपाट सत्य को

दुनिया क्यों नहीं जानती है?

और अगर जानती है,

तो मन से क्यों नहीं मानती

इससे फर्क नहीं पड़ता

कि आदमी कहां खड़ा है?

3)दूध में दरार पड़ गई

ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया?

भेद में अभेद खो गया।

बँट गये शहीद, गीत कट गए,

कलेजे में कटार दड़ गई।

दूध में दरार पड़ गई।

खेतों में बारूदी गंध,

टूट गये नानक के छंद

सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है।

वसंत से बहार झड़ गई

दूध में दरार पड़ गई।

अपनी ही छाया से बैर,

गले लगने लगे हैं ग़ैर,

ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता।

बात बनाएँ, बिगड़ गई।

दूध में दरार पड़ गई

4)कौरव कौन, कौन पांडव

कौरव कौन

कौन पांडव,

टेढ़ा सवाल है|

दोनों ओर शकुनि

का फैला

कूटजाल है|

धर्मराज ने छोड़ी नहीं

जुए की लत है|

हर पंचायत में

पांचाली

अपमानित है|

बिना कृष्ण के

आज

महाभारत होना है,

कोई राजा बने,

रंक को तो रोना है|

5) झुक नहीं सकते

टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते

सत्य का संघर्ष सत्ता से

न्याय लड़ता निरंकुशता से

अंधेरे ने दी चुनौती है

किरण अंतिम अस्त होती है

दीप निष्ठा का लिये निष्कंप

वज्र टूटे या उठे भूकंप

यह बराबर का नहीं है युद्ध

हम निहत्थे, शत्रु है सन्नद्ध

हर तरह के शस्त्र से है सज्ज

और पशुबल हो उठा निर्लज्ज

किन्तु फिर भी जूझने का प्रण

अंगद ने बढ़ाया चरण

प्राण-पण से करेंगे प्रतिकार

समर्पण की माँग अस्वीकार

दाँव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते

टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते

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