राज्य सरकार भरेगी मेडिकल पाठ्यक्रम में मराठा छात्रों की फिस

मेडिकल पाठ्यक्रम में मराठा समाज के छात्रों को आरक्षण लागू करने की राज्य सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया।  जिसके बाद मराठा समाज के छात्रों को खुले वर्ग में ज्यादा फिस देकर प्रवेश लेना होगा। छात्रों को होनेवाली इस तकलीफ को देखते हुए अब सरकार ने मराठा समाज के छात्रों का फिस भरने का फैसला किया है।   

क्या है मामला

मेडिकल की पढ़ाई में सामाजिक और  आर्थिक तौर पर कमजोर (एसईबीसी) मराठा समाज को 16 फिसदी आरक्षण देने का फैसला राज्य सरकार ने लिया था।  लेकिन मुंबई हाईकोर्ट की नागपूर बेंच ने इस साल से इस आरक्षण को लागू करने से रोक दिया था।  जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन वहा भी सरकार की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। जिसके बाद छात्रों ने डीएमईआर संचालक डाॅ. तात्याराव लहाने से मुलाकात की और मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाई।

सुप्रीम कोर्ट के याचिका रद्द करने के बाद अब मराठा समाज के छात्रों को भी खुले वर्ग में प्रवेश लेना होगा जिसके लिए उन्हे जनरल कैटेगरी के छात्रों जीतनी फिस भरनी होगी। हालांकी छात्रों की तकलीफ को देखते हुए राज्य सरकार ने फैसला लिया है की मराठा समाज के छात्रों को खुले वर्ग में प्रवेश लेने के लिए जो फिस देनी होगी उसका भूगतान राज्य सरकार करेगी यानी की आरक्षण पानेवाले छात्रों और जनरल कैटेगरी के छात्रों की फिस में जो अंतर होगा सरकार उसका भुगतान करेगी।अण्णासाहेब पाटील आर्थिक विकास महामंडल के द्वारा सरकार इस फिस का भुगतान करेगी।  

निजी मेडिकल कॉलेजों में कुल सीटें - 460

व्यवस्थापक कोटा - 211

ओपन श्रेणी - 110

एससी, एसटी, एनटी, वीजे, ओबीसी -115

आर्थिक कमजोरी (EWS) - 24

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