शिवसेना के लिए बेहद ही अहम पद है मुंबई का महापौर!

मुंबई में मौजूदा महापौर शिवसेना के विश्वनाथ महाडेश्वर का कार्यकाल 7 दिसंबर को खत्म हो रहा है। लिहाजा अब मुंबई के नये मेयर का चुनाव कर लिया गया है। नया मेयर भी शिवसेना से ही है। शिवसेना की नगरसेविका किशोरी पेड़नेकर को मुंबई के नए महापौर के लिए चुना गया है।  मुंबई का महापौर पद शिवसेना के लिए काफी अहम होता है। आप इस पद की अहमियत शिवसेना के लिए इसी बात से लगा सकते है की साल 2017 में हुए बीएमसी चुनाव के बाद शिवसेना ने मेयर पद पर अपना कब्जा खोता देख राज्य की बीजेपी सरकार से समर्थन तक वापस खिंच लेने की धमकी दी थी।  महापौर का पद हमेशा से ही शिवसेना के लिए काफी महत्तवपूर्ण रहा है।  

 मुलरी देवड़ा को मेयर पद जीताने में शिवसेना ने दिया कांग्रेस का साथ 

1996 से शिवसेना ने मुंबई के मेयर पद पर लगातार अपने उम्मीदवार को जीताकर बैठाया। इसके पहले भी शिवसेना के मेयर बने लेकिन 1996 से लेकर अभी तक बीएमसी के मेयर पद पर एकछत्र शिवसेना का दबदबा है। मुंबई में शिवसेना के पहले मेयर डॉ.एच.एस.गुप्ते थे, जो साल 1971-72 तक मेयर थे।  मुंबई के मेयर पद पर कांग्रेस का भी कई सालों तक कब्जा रहा है। हालांकी कांग्रेस के मुलरी देवड़ा को साल 1977–1978 तक मेयर पद जीताने में शिवसेना ने भी कांग्रेस का साथ दिया। अगर 1992 से 1996 के समय को छोड़ दिया जाए तो  साल 1985 से लेकर 2019 तक मुंबई के मेयर पद पर शिवसेना का ही कब्जा रहा है। 

1992-1993 तक रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के चंद्रकांत हंडोर मेयर रहे तो वही  1993-1994 तक कांग्रेस के आर. आर.सिंह मुंबई के मेयर रहे।  1994-1995 तक कांग्रेस की ही निर्मला सामंत – प्रभावलकर मेयर रही तो वही 1995-1996 तक आर.टी.कदम मुंबई के मेयर रहे। इन सभी को छोड़कर 985 से लेकर 2019 तक मुंबई के मेयर पद पर शिवसेना का ही कब्जा रहा है। मेयर पद के लिए शिवसेना हमेशा से ही काफी आक्रामक रही है।  

सरकार से बाहर निकलने तक की धमकी

साल 2017 में हुए बीएमसी चुनाव के बाद जब शिवसेना को 84सीटें और बीजेपी को 82 सीटें आई तो बीजेपी ने बीएमसी पर अपना महापौर बैठाने की कोशिश की।  अपने हाथ से बीएमसी के महापौर का पद जाते देख शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को साफ लफ्जो में कह दिया की अगर बीएमसी में शिवसेना का महापौर नहीं बनता है तो शिवसेना राज्य की बीजेपी सरकार से अपना समर्थन खिंच लेगी।  जिसके बाद बीजेपी को झूकना पड़ा और महापौर का पद शिवसेना के पाले में फिर से आ गिरा। 

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