विधानसभा चुनाव प्रजेंटेड 'कौन बनेगा मुख्यमंत्री'

महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय मुख्यमंत्री पद को लेकर महायुती की दो बड़ी पार्टियों बीजेपी और शिवसेना में अभी से ही तना तनी शुरू हो गयी है। इस मुख्यमंत्री पद को लेकर जिस तरह से बीजेपी और शिवसेना अभी से ही होड़ मची हुई है उससे आगे चल कर दोनों में फिर से विवाद पैदा हो सकता है। पहले तो दोनों पार्टियों के पदाधिकारी और नेता खुल कर अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री होने का दम भरते थे, लेकिन रविवार को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने खुले आम अपने आप को अगला मुख्यमंत्री होने की बात कह कर एक तरह से विवाद को हवा दे दिया है। मुख्यमंत्री की पद को लेकर इस समय महाराष्ट्र में दो परिदृश्य हैं जिन्हें आपको समझना पड़ेगा।

परिदृश्य 1:

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के पुत्र और युवासेना मुखिया आदित्य ठाकरे गुरुवार से राज्य भर में 'जन आशीर्वाद यात्रा' की शुरुआत की। आदित्य ने इस यात्रा की शुरुआत जलगाँव से की थी। पार्टी से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि यात्रा का पहले चरण में विदर्भ से उत्तर महाराष्ट्र के नंदूरबार तक के इलाकों को कवर किया जायेगा, जबकि दूसरा चरण 17 अगस्त से लेकर 31 अगस्त तक होगा जिसमें औरंगाबाद और नासिक जैसे इलाकों का दौरा किया जाएगा। सूत्र के मुताबिक इस यात्रा के दौरान आदित्य 104 रैलियों, 228 स्वागत सभाओं और 20 संवाददाता सम्मेलनों को संबोधित करेंगे।

अब सवाल उठता है कि ठीक विधानसभा चुनाव से पहले आखिर ऐसी क्या बात हो गयी कि आदित्य को लोगों के आशीर्वाद की जरूरत महसूस हुई। वे चुनाव के बाद भी कर सकते थे या लोकसभा चुनाव के पहले भी कर सकते थे। यहां आपको बता दें कि काफी समय से शिवसेना के कार्यकर्त्ता और पदाधिकारी महाराष्ट्र में 'अपना मुख्यमंत्री' के लिए काफी बेचैन हैं। शिवसेना की बैठक में कई बार यह मांग उठ चुकी है। तो ऐसे में शिवसेना ने वह करने जा रही है जो ठाकरे परिवार के इतिहास में अब तक नहीं हुआ।

बताया जाता है कि इस विधानसभा चुनाव में शिवसेना आदित्य को चुनाव लड़ा सकती है। साथ ही आदित्य ही मुख्यमंत्री का चेहरा भी हो सकते हैं। यह यात्रा इसी की परिणीती है। आदित्य की 'जन आशीर्वाद यात्रा' के दौरान शिवसेना सांसद संजय राउत ने पत्रकारों से कहा कि महाराष्ट्र के लोगों ने ठाकरे परिवार को 15 साल तक प्यार दिया, उन्हें स्वीकार किया, और वे चाहेंगे कि ऐसा हो। हमारी अगली पीढ़ी आदित्य हैं, और हम चाहते हैं कि आदित्य ही नेतृत्व करें।

इसके अलावा 'जन आशीर्वाद यात्रा' के दौरान जब आदित्य ठाकरे से  मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना की पसंद की बात पत्रकारों ने पूछी तो उन्होंने कहा कि, 'जनता ही फैसला करेगी कि मैं इस पद पर काबिज होने के लिये तैयार हूं या नहीं। मैं इस बारे में नहीं बात कर सकता क्योंकि यही एकमात्र चीज है जो मेरे हाथ में नहीं है। '

'आदित्य ने तो यहां तक कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और उद्धव जी पहले ही यह तय कर चुके हैं कि सीएम शिवसेना का ही होगा।'

परिदृश्य 2: 

रविवार को मुंबई में प्रदेश कार्यकारिणी की हुई बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बीजेपी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से कहा कि, इस साल भी विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी जीतेगी और जीत के बाद दूसरी बार भी वही मुख्यमंत्री बनेंगे। फडणवीस ने कहा कि उनका काम उनके लिये बोलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सिर्फ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का ही नहीं बल्कि शिवसेना, आरपीआई, राष्ट्रीय समाज पक्ष (राज्य सरकार में सभी सहयोगी पार्टियों) का भी मुख्यमंत्री हूं। जनता यह निर्णय करेगी कि कौन अगला मुख्यमंत्री होगा। आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हमारा काम ही हमारे लिए बोलेगा। हालांकि उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि, कुछ लोग मुख्यमंत्री पद का मुद्दा उठा रहे हैं। उनके जाल में मत फंसिए, दोनों पार्टियों में ऐसे कई लोग हैं जो अनावश्यक बोलते रहते हैं। ’’

सरोज पांडेय ने भी दिया बयान

यही नहीं इस बैठक में महाराष्ट्र भाजपा की प्रभारी सरोज पांडेय ने रविवार को यह कहा कि भाजपा राज्य की 288 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और हर हालत में मुख्यमंत्री भाजपा का ही होगा। 

पोस्टर के जरिये भी प्रचार 

इसके अलावा रविवार को मुंबई में कई जगह ऐसे पोस्टर लगे थे जिस पर देवेन्द्र फडणवीस की तस्वीर लगी थी और उस पर अगला मुख्यमंत्री होने की बात लिखी थी।

अब क्या होगा आगे?

जिस तरह मुख्यमंत्री पद के लिए ये दोनों बड़ी पार्टियां एक दुसरे से आगे निकलना चाहती हैं उससे महायुती की अन्य पार्टियां हाशिये पर चली गयीं हैं। वैसे शिवसेना को इस बात का भी डर है कि बीजेपी जसी तरह से ताकतवर हुई है उससे वह कुछ भी कर सकती है। साथ ही शिवसेना अब मुंबई-महाराष्ट्र से बाहर भी अपना पैर फ़ैलाने के लिए कसमसा रही है। अब देखना है कि चुनाव आने तक अभी लोगों को क्या क्या देखना और सुनना पड़ सकता है।

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